बचपन में सर्कस देखने जाते समय जैसा कौतूहल व अवाक् भाव लिए लौटते थे, उसमें "मौत का कुआँ" जैसे "खेले" बंद गोले में होने और मेले-ठेले में दिखाए जाने के बावजूद भी लगभग अविश्वसनीय-से और भयोत्पादक हुआ करते थे| आप सबने भी देखा ही होगा वह "मौत का कुआँ "|
मौत का वह कुआँ इस दुर्गम अभ्यास के आगे कहाँ ठहरता है, आप भी देखिए और बताइये -
जबरदस्त!! सांस रुक गई देखने में ही... :)
जवाब देंहटाएंरोमांचक
जवाब देंहटाएंपागल है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रोमाचक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं''कर्मचक्र सा घूम रहा है
जवाब देंहटाएंयह गोलक बन नियति प्रेरणा
सबके पीछे लगी हुई है
कोइ व्याकुल नई एषणा '' [कामायनी]