'भारत की बर्बादी' की आज़ादी का शोक

                                      

- कविता वाचक्नवी 





गत चार-छह दिन में कई मित्रों व परिचितों ने फ़ोन, मैसेज, व्हाट्सएप, मैसेंजरचैट व बातचीत आदि में देश की स्थितियों पर अपनी #व्यथा से अवगत करवाया है. स्वयं मैं भी इनसे बहुत #दु:खी और व्यथित हूँ. मित्रो ! यह भले ही भीषण उथल-पुथल का समय है किन्तु इस उथल-पुथल के कारण ही अब देश में जबरदस्त ध्रुवीकरण होगा. जिन राष्ट्रविरोधी दलों  ('शक्तियों' कहना उचित नहीं क्योंकि उनकी हरकतें कायराना हैं) ने देश में हाहाकार मचाने के षड्यंत्र रचे हैं, यह उनका विनाशकाल है और उन्होंने इस बार जो दाँव खेला है, वह उन पर ही भारी पड़ने वाला है. 


#लेनिनग्राद में ही दफ्न हो चुके वामपंथ सहित कई दीमकों की भारत में सफाई का समय है, इसीलिए राष्ट्र के शत्रुओं के साथ मिल उन्होंने सत्ताच्युत और अपने काले कारनामों के खुलने से भयभीत राजनैतिक दल के साथ मिल #देश के विनाश का यह #खेल खेला है. यह सारा षड्यंत्र असल में बजट काल के लिए सुरक्षित था किंतु #MakeInIndia को विफल करने और #हेडली द्वारा #इशरत वाला षड्यंत्र खुल जाने के कारण इस सारे षड्यंत्र को उन्हें तुरन्त अंजाम देना पड़ा. परिणाम आपके सामने हैं कि #प्रधानमन्त्री (PMO India) को बदनाम करने और काम न करने देने के लिए ये लोग आतंकवादियों का साथ देने व देश का संहार करने तक को उतारु हैं. इनकी तथाकथित विचारलॉबी बिके हुए बुद्धिजीवियों का षड्यन्त्रकारी गैंग ही है. वह #पुरस्कार लौटाऊ गैंग और असहिष्णुता के नाम पर देश को बदनाम करने वाले सब-के-सब अब सिरे से गायब हैं, मौन हैं. उनकी बला से देश भले तबाह हो जाए. असल में ये सब लोग भी देश को लूटने आने वाले हमलावरों का ही नया रूप हैं, जिनका उद्देश्य येन-केन-प्रकारेण देश को अधिकाधिक लूटना ही है और जो भी इनकी लूट में बाधा बनेगा उसे ये कुछ भी कर समाप्त कर देंगे, इन्हें देशहित या देश की जनता से कुछ लेना-देना नहीं, इन्हें तो बस अपनी लूट को अनवरत रखने से मतलब है. 


पर अब देश की जनता इनके गन्दे खेल देख इनके चेहरे पहचानने लगी है और इनके विरुद्ध एकीकृत होने लगी है. #भारत का साधारण-जन देश की बर्बादी कदापि नहीं माफ़ कर सकता, करोड़ों घरों के बेटे, पति और भाई सेना में हैं भले ही वह #हिन्दू हो या #मुसलमान, बराबर जान जोखिम में डाल देश की सुरक्षा करते आए हैं; इसलिए देश के शत्रुओं के हाथ का खिलौना बन "भारत की बर्बादी" के इन सबके दूषित संकल्प और कारनामों को कभी माफ़ नहीं कर सकते. देश के करोड़ों परिवार सेना के साथ गद्दारी नहीं कर सकते, सुरक्षा के साथ गद्दारी नहीं कर सकते। वे देश के साथ हैं, देशहित के साथ हैं. 


देश अब इनके असली चेहरे देख पा रहा है, इसलिए ध्रुवीकृत भी होगा ही. शायद यही देशहित में भी है. इसलिए मित्रो, इस तमाम वितण्डावाद से घबराइये और दु:खी मत होइए. यह घबराने का समय नहीं अपितु सामना कर देश को जगाने और इनके पोल खोलने का समय है. #KavitaVachaknavee

2 टिप्‍पणियां:

  1. भारत को तबाह करने सा षड़यंत्र तो इंदिरा गांधी सी हत्या को अंजाम दे कर ही शुरु कर दी गई थी । इंदिरा जी ने अपने भाषण मैं उसका संकेत दे दिया था । आज जो हालात पैदा हो रहे हैं वह बेहद खतरनाक हैं देश के लिए । भारत मैं रहने वाले लोगों को चाहे वह किसी भी जाति, धर्म एवं सम्प्रदाय आदि से हों, यदि वे इसे विखंडित करना चाहेंगे तो यह भारत की जनता होने नहीं देगी ।

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  2. भारत को तबाह करने सा षड़यंत्र तो इंदिरा गांधी सी हत्या को अंजाम दे कर ही शुरु कर दी गई थी । इंदिरा जी ने अपने भाषण मैं उसका संकेत दे दिया था । आज जो हालात पैदा हो रहे हैं वह बेहद खतरनाक हैं देश के लिए । भारत मैं रहने वाले लोगों को चाहे वह किसी भी जाति, धर्म एवं सम्प्रदाय आदि से हों, यदि वे इसे विखंडित करना चाहेंगे तो यह भारत की जनता होने नहीं देगी ।

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