अमेरिकी अभिमन्यु और अफ़गान चक्रव्यूह

डॉ. वेदप्रताप  वैदिक  के हस्तलेख में ही,  इस सामयिक और विश्व राजनीति से जुड़े महत्वपूर्ण आलेख को पढ़ें कि "अमेरिका कैसे निकले अफ़गान से बाहर"|

ध्यान रहे कि लेखक अफ़गान मामलों के विश्वप्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं |


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अमेरिकी अभिमन्यु और अफ़गान चक्रव्यूह










5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया पांच सूत्री कार्यक्रम दिया है वैदिक जी ने। इस पर अमेरिका को अवश्य ही सोचना चाहिए, भले ही इसमें कुछ फेरबद्ल करना चाहें, तो भी॥

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  2. अफगान मामलों में वैदिक जी का आकलन बहुत ही सही है.काश ऐसा हो पाए.

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  3. आपके तर्क सही हैं, परन्तु अमरीका में भी बहुत से भ्रस्त राजनीतिज्ञ एवं कम्पनियों के मुनाफे उस ९६% व्यय से आते हैं | रक्षा के नाम पर देश के पैसों कि भक्ष से न चुकने वालों कि कमी किसी देश में नहीं है |

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  4. ऎसा तो नही अमरीका अफ़ीम के कारण ही अफ़गानिस्तान गया हो . वैसे रुसियो को हटाने के लिये जो जो अमरीका ने किया उसी को भुगत रहा है.

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  5. ईश्वरीय दायित्वों के निर्वाह के लिए क्रांति हेतु आत्मा से स्थायीरूपेण उत्साही व्यक्तियों का आह्वान
    मैंने तत्काल क्रियान्वयन(कई कार्य तो बहुत सरल होंगे) हेतु निम्नांकित विषयों में अनेक योजनाएँ तैयार की हैं(किन्तु योजनाओं की संख्या बहुत अधिक एवं विषय व्यापक हैं, यदि और भी कुछ व्यक्ति सक्रिय एवं निःस्वार्थ रूप में आगे आयें तो शीघ्रातिशीघ्र क्रांतियाँ सुनिश्चित की जा सकती हैं)ः-
    1. सर्वोच्च/उच्च न्यायालयों में सप्रमाण जनहितयाचिकाएँ दायर करना (आपके द्वारा स्वयं पिटीश्नर-इन-पर्सन के रूप में अथवा किसी अधिवक्ता द्वारा; इस हेतु विश्लेषण मैंने तैयार कर लिये हैं)
    2. संसद में याचिका साक्ष्यसहित प्रस्तुत करना (मैंने इसके लिए भी फ़ाइलें तैयार कर ली हैं, बस उन्हें राज्यसभा सदस्य से अधोहस्ताक्षरित कराकर अथव बिना अधोहस्ताक्षरित कराये राज्यसभा में डाक से भेजना होगा)
    3. जनहितकारी स्टिंग आॅपरेशन्स
    4. विषय-आधारित(थीम-बेस्ड) उपवन स्थापना एवं विशेषीकृत(कस्ट्माइज़्ड) वृक्षारोपणः विभिन्न सामाजिक, राष्ट्रीय, धार्मिक एकता/सौहार्द्र, शैक्षणिक इत्यादि अन्य विषयों में अभूतपूर्व हरित प्रेरणास्रोत स्थापित करना
    बतायें कि आप मेरे मार्गदर्शन में उपरोक्त में से कौन-सा कार्य करने को तैयार हैं?
    मुझे स्पष्ट रूप से ज्ञात है कि हर देश/काल/वातावरण में नारी व धन में पीछे लगे अंध-स्वार्थियों का ही बाहुल्य रहता है तथापि सम्भवतः कुछ वीर तो शेष होंगे जो जीवन को शेजन-प्रजनन-शयन रूपी त्रिकोण तक सीमित न रखते हुए मातृभूमि के प्रति सबकुछ करने को आत्मा से तैयार हों। झाँसी की रानी जब राष्ट्र-रक्षा के लिए सबका आह्वान कर रही थीं, तब भी बहुत ही कम व्यक्ति आगे आये, शेष व्यक्ति अपनी-अपनी पत्नी के पल्लु में छुपे बैठे रहे। आचार्य चाणक्य ने महान कहलाने व विश्वविजेता माने जाने वाले सिकन्दर को शरत से पलायन करने पर विवश किया; उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य के माध्यम से महाराज धनानंद के नंदवंश का विनाश किया; यदि वे अखण्ड भारत की स्थापना नहीं करते तो क्या आप-हम अपने-अपने घरों में इतना स्वतंत्र, सम्पन्न जीवन जी रहे होते? अंग्रेज़ तो लूटने आते ही नहीं क्योंकि सिकंदर के निर्दय यहूदी सैनिक एवं धनानंद के निर्मम सैनिक ही इतना लूट चुके होते कि वर्तमान में आप जिसे भारत कहते हैं, वह खण्ड-खण्ड देश सांस्कृतिक/आर्थिक/सामाजिक रूपों में पाकिस्तान एवं अनेक अफ्ऱीकी देशों से भी कई गुना अधिक दुर्गत में होता। आचार्य ने भी अपने पुनीत सामाजिक उद्देश्यों के लिए जन-जन के आह्वान के प्रयत्न किये किन्तु तब भी वर्तमान जैसे अधिकांश पुरुष वास्तव में नपुंसक थे, सब भय/स्वार्थ/निष्क्रियता/निराशा रूपी अंधकार व पंक(कीचड़) में अपने तन-मन-धन व स्वयं की आत्मा तक को साभिप्रेत(जान-बूझकर) डुबाये हुए थे; मूरा, अहिर्या, चैतन्य, मृगनयनी जैसे कुछ ही व्यक्ति ऐसे थे, जिन्होंने आचार्य के निर्देश माने तथा जिनके उपकारों के कारण हम यहाँ तक पहुँचकर इतना अधिक सुखद जीवन बिता रहे हैं; क्या आपमें से कोई है जो पूर्वजों के उन उपकारों के प्रति सम्मान में ही सही, अपने ईश्वरीय/राष्ट्रीय/सामाजिक दायित्वों के निष्ठापूर्वक निर्वाह को उद्यत(तत्पर) हो? मैं यह पत्र ऐसे व्यक्तियों के आह्वान के लिए लिख रहा हूँ जो वास्तव में मातृभूभि, राष्ट्र के प्रति अपने सामाजिक एवं व्यक्तिगत उत्तरदायित्वों के निर्वाह के लिए भीतर से गम्भीर हों।
    अस्थायी उत्साह युक्त भीड़ अथवा समूह नहीं अपितु उत्तेजक विचारों को साकार करने के लिए स्थायीरूपेण उत्साही व्यक्ति द्वारा ही क्रांतियाँ लायी जाती हैं।
    वे ही व्यक्ति सम्पर्क करें जिनका उत्साह कभी न घटने वाला हो
    सुमित कुमार राय
    दूरभाष-91ः9425605432

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