वे कहाँ हैं .....

वे कहाँ हैं ..... 



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इस्तीफा काफी नहीं, सजा जरूरी !

इस्तीफा काफी नहीं, सजा जरूरी !
डॉ. वेदप्रताप वैदिक


गृहमंत्री पी. चिदंबरम बुरी तरह घिर गए हैं। पहले ए. राजा के मामले में, फिर एस.पी. गुप्ता के मामले में और अब बाबा रामदेव के मामले में! इन तीनों मामलों में चिदंबरम का जो चेहरा उभर रहा है, वह किसी लोकतांत्रिक देश के गृहमंत्री का नहीं है। ये तीनों काम चिदंबरम की सहमति से हुए हैं बल्कि उनके इशारे पर ही हुए हैं, इसके ठोस प्रमाण रोज़ सामने आते जा रहे हैं लेकिन उनके सिर पर जूं भी नहीं रेंग रही। ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा इसलिए हो रहा है कि हमारी यह सरकार बाबू-सरकार है। कोई बाबू किसी भी पद पर बैठ जाए, वह रहता है, बाबू का बाबू ही! उसमें इतनी हिम्मत कहाँ कि वह किसी नेता के कान पकड़ सके और उसे दरवाजा दिखा सके! जिन्हें हम नेता कह देते हैं, वे भी सचमुच अगर नेता होते तो इस्तीफा दे देते। चुपचाप नेपथ्य में चले जाते। लेकिन वे भी बाबू ही हैं। अपनी अवधि पूरी किए बिना वे कुर्सी कैसे छोड़ सकते हैं? सारा देश चाहे चीखता-चिल्लाता रहे, छोटे बाबुओं और बड़े बाबू की जुगलबंदी चलती चली जा रही है।

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