बूँद बूँद अमृत : जन्मदिवस १७ अगस्त पर विशेष



बाबू जी (अमृतलाल नागर जी )के जन्मदिवस १७ अगस्त पर विशेष 

बूँद बूँद अमृत




अमृतलाल नागर - जिन्हें मैं बाबू जी कह कर संबोधित करती थी, आज भी जब याद आते हैं तो एकाएक उनके ठहाके कानों में गूँज उठते हैं. जिंदादिल, उदार मनस, हँसता चेहरा, मुस्कुराती आँखें - उनकी ये खूबियाँ सिलसिलेवार आँखों में लहरा उठती हैं. 

भारत में हो मेरा पुर्नजन्‍म


भारत में हो मेरा पुर्नजन्‍म

जापानी भाषा के विद्वान अकियो हागा हिंदी वि.वि. में प्रोफेसर के रूप में नियुक्‍त

अब हिंदी माध्‍यम से कीजिए विदेशी भाषा- स्‍पेनिश, चीनी, जापानी के पाठ्यक्रम



 जापानी भाषा के विद्वान एवं कवि अकियो हागा महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी वि‍श्‍वविद्यालय, वर्धा में प्रोफेसर के पद पर हाल ही में नियुक्‍त हुए हैं। वे विश्‍वविद्यालय में जापानी भाषा के विद्यार्थियों को पढायेंगे। ज्ञातव्य है कि विश्‍वविद्यालय में भाषा विद्यापीठ के अंतर्गत पहली बार हिंदी माध्‍यम से चीनी, स्‍पेनिश, जापानी भाषा में सर्टिफिकेट, डिप्‍लोमा व एडवांस्‍ड डिप्‍लोमा के पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।

प्रेमचंद के पुनर्पाठ के लिए योग्‍य वारिस का होना है जरूरी





प्रेमचंद के पुनर्पाठ के लिए योग्‍य वारिस का होना है जरूरी- लाल बहादुर वर्मा




कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती  गोदान के 75 वर्ष होने के उपलक्ष्‍य में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र, इलाहाबाद में `75वें वर्ष में गोदान : एक पुनर्पाठ' विषय पर आयोजित संगोष्‍ठी के दौरान अध्‍यक्षीय वक्‍तव्‍य देते हुए इतिहासबोध पत्रिका के संपादक लाल बहादुर वर्मा ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं के पुनर्पाठ के लिए योग्‍य वारिस का होना जरूरी है। पूर्वाग्रह ग्रस्‍त होकर प्रेमचंद का पुनर्पाठ नहीं हो सकता। पुनर्पाठ के लिए प्रेमचंद जैसी स्पिरिट विद् द टाइम होनी चाहिए। हमें प्रेमचंद का अनुयायी बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि उनसे आगे, बेहतर समझ और कमिटमेंट के साथ पुनर्पाठ करना चाहिए। इस अवसर पर वरिष्‍ठ आलोचक रविभूषण (रांची), साहित्‍य समीक्षक अली जावेद (दिल्‍ली) व क्षेत्रीय केंद्र के प्रभारी प्रो.संतोष भदौरिया मंचस्‍थ थे।

२०११ का भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार अनुज लुगुन को



२०११ का भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार 



समकालीन युवा कविता का सर्वाधिक प्रतिष्ठित सम्मान, भारत भूषण अग्रवाल कविता पुरस्कार श्री अनुज लुगुन को उनकी कविता 'अघोषित उलगुलान' के लिए दिया जाएगा. इस वर्ष के निर्णायक श्री उदय प्रकाश ने इसका चयन किया है. यह कविता 'प्रगतिशील वसुधा' के अप्रैल -जून २०१० के अंक में प्रकाशित हुई थी.


भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार हर वर्ष किसी युवा कवि की श्रेष्ठ कविता को दिया जाता है. निर्णायक मंडल में अशोक वाजपेयी, अरुण कमल, उदय प्रकाश, अनामिका, और पुरषोत्तम अग्रवाल हैं. बारी-बारी से हर वर्ष एक निर्णायक पुरस्कार के लिए कविता का चुनाव करता है. इस बार के निर्णायक श्री उदय प्रकाश के शब्दों में "अनुज लुगुन की कविता "अघोषित उलगुलान" को वर्ष २०११ का प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार देते हुए मुझे गर्व और सार्थकता दोनों की अनुभूति हो रही है."


निर्णायक  का वक्तव्य

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