प्रायश्चित करें किरण बेदी


 प्रायश्चित करें किरण बेदी
डॉ. वेदप्रताप वैदिक



किरण  बेदी पर उंगली कौन उठा सकता है? क्या कोई नेता? बिल्कुल नहीं। देश में कोई ऐसा नेता नहीं होगा, जो सार्वजनिक या सरकारी पैसे का सही-सही हिसाब देता होगा। हर चुनाव लड़नेवाला नेता चुनाव आयोग को खर्च का जो हिसाब देता है, क्या वह सही होता है? किरण बेदी का दोष इतना ही है न, कि वह साधारण श्रेणी में यात्रा करती थीं और उच्च श्रेणी का किराया ले लेती थीं लेकिन हमारे नेता, मंत्री और मुख्यमंत्रीगण आदि क्या करते हैं? वे यात्रा किए बिना ही यात्रा का किराया (और भत्ता भी) वसूल लेते हैं। सड़क बनी ही नहीं और उसके नाम पर करोड़ों रु. डकार जाते हैं। इसलिए किरण बेदी के मामले में हमारे नेतागण अपनी जुबान ज़रा सम्हालकर चला रहे हैं।



लेकिन यह मामला काफी गंभीर है। खास तौर से इसलिए कि यह किरण बेदी का मामला है। वे अन्ना आंदोलन की प्रमुख आवाज हैं। भ्रष्टाचार के विरूद्ध वे जिस प्रखरता से बोलती रही हैं, उसी सख्ती से लोग उन्हें नापेंगे। यह ठीक है कि वे साधारण श्रेणी में हवाई-यात्रा करती हैं लेकिन फिर उच्च श्रेणी का बिल क्यों भेजती हैं? झूठा बिल क्यों बनाना? क्या यह सदाचार है? क्या यह उचित आचार है? यह सचमुच सराहनीय है कि ऐसा करने से जो अतिरिक्त पैसा आता है, वह उनके समाजसेवी संस्थान को चला जाता है। उनके पास नहीं आता। लेकिन यहाँ प्रश्न यही उठता है कि उस संस्थान की आय बढ़ाने के लिए झूठ का सहारा क्यों लिया जाए? सीधे दान क्यों नहीं माँगा  जाए ? पुण्य की मंजिल पर भी पाप के रास्ते से क्यों जाया जाए?



किरण बेदी ने गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ जो किया है, अगर वे किसी सरकारी संगठन के साथ ये बर्ताव करतीं तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ जाता और उनकी पेंशन भी रुक जाती। जिन संस्थाओं ने उन्हें फर्जी बिलों के आधार पर भुगतान किया है, क्या उनके अधिकारी अब लेखों-परीक्षकों की गिरफ्त में नहीं आ जाएँगे? अपने संस्थान की आय बढ़ाने के लिए किरण बेदी को हेरा-फेरी करने की जरूरत ही क्या थी ? इस हेरा-फेरी को अनैतिक तो नहीं कहा जा सकता लेकिन यह अनुचित तो है ही ! अति-उत्साह में आकर अनुचित उपाय करने की आदत मनुष्य को भ्रष्टाचार के मार्ग पर आसानी से ले जाती है। रायपुर के किसी संगठन से उनके संस्थान ने एक ही यात्रा के लिए दुबारा किराया माँग लिया या नहीं? एक ही यात्रा के लिए दो-दो किराए माँगना क्या भ्रष्टाचार नहीं है? उनके संस्थान के सारे हिसाब को उन्हें दुनिया के सामने खोलकर रख देना चाहिए ताकि उसे पता चल सके कि गलत रास्ते से आए पैसे का उपयोग तो सही ही हुआ है। 


किरण बेदी जैसी तेज-तर्रार और बहादुर महिला को यह शोभा नहीं देता कि वे अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश करें। अच्छा तो यह होगा कि वे विनम्रतापूर्वक अपनी गलती स्वीकार करें। वे कहें कि उनका साध्य पवित्र है और अब आइंदा उनके साधन भी पवित्र होंगे। लोग उन्हें दुबारा अपने सिर पर बिठा लेंगे। वरना यह हादसा अन्ना-आंदोलन के लिए प्राणलेवा सिद्ध होगा। 




7 टिप्‍पणियां:

  1. क्या आपके पास कोई ठोस सबूत है किरण बेदी के ख़िलाफ़?

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  2. दुनिया में विरले ही होंगे .. जो अपनी सुविधा और सुख की न सोंचते हों .. किसी मुदृदे पर किसी का विरोध किया जा सकता है .. अच्‍छा लिखा आपने !!

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  3. छोटी छोटी बाते ही जीवन में आपका आकलन करती हैं।

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  4. किरण बेदी युवावस्था से मेरी आदर्श रही हैं । यदि उनसे पुण्य-कार्य के लिये भी चूक हुई है तो है तो वह चूक ही । उन्हें पूरे सबूत और साहस के साथ अपनी बात जनता के आगे रखनी चाहिये। मेरे अनुसार जनता का ह्र्दय बड़ा विशाल होता है । इतने नेक कामों को मद्देनज़र रखते हुए एक छोटी-सी भूल वह ज़रूर भुला देगी ।

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  5. सहमत हूँ कि भ्रष्टाचार कैसा भी हो, होता तो भ्रष्टाचार ही है, आयोजकों को यह भी कहा जा सकता था कि टिकट के बराबर की रकम उनके एनजीओ में दान स्वरूप दे दें।

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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