भारत भवन की 30वीं वर्षगाँठ का समारोह


भारत भवन की 30वीं वर्षगाँठ का समारोह गरिमापूर्ण ढंग से सम्पन्न


बहुकला केंद्र, भारत भवन की 30वीं वर्षगाँठ का समारोह 13 से 19 फरवरी 2012 तक आयोजित किया गया। इस समारोह में वैविध्य से परिपूर्ण कलात्मक आयोजन सम्पन्न हुए।

भारत भवन के वर्षगाँठ समारोह का शुभारम्भ मध्यप्रदेश के संस्कृति मन्त्री माननीय श्री लक्ष्मीकान्त शर्मा द्वारा किया गया। समारोह का शुभारम्भ करते हुए संस्कृति मन्त्री ने  भारत भवन को देश-दुनिया का अनूठा  कलाकेन्द्र कहा और उन्हानें  इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत भवन की गरिमा और प्रतिष्ठा के अनुकूल  30वीं  वर्षगाँठ का समाराहे आयोजित हो रहा है और  देश के अग्रणी कलाकार इस समारोह में अपनी प्रस्तुतियाँ दे रहे हैं। संस्कृति मन्त्री ने यह सकंल्प प्रकट किया कि भारत भवन अपनी उत्कृष्ट कलात्मक गतिविधियों से देश का अग्रणी कला संस्थान बना रहेगा और कलाकारों की रचनाशीलता को यहाँ भरपूर सम्मान और मंच दिया जाता रहेगा। भारत भवन की गतिविधियों को  गरिमापूर्ण ढंग से आयोजित करने  में  किसी तरह से आथिर्क तंगी आड़े नहीं आने दी जाएगी इसका भी आश्वासन  संस्कृति मन्त्री ने सभागार में अपने सम्बोधन के दौरान प्रकट किया।

भारतीय साहित्य का भविष्य



भारतीय साहित्य का भविष्य
-- डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय




असम साहित्य सभा ने जब मुझे अपने विराट सम्मेलन में आमंत्रित किया और व्याख्यान के लिए किसी विषय में न बाँधा, तब मुझे लगा कि स्वाधीन होना कितना बड़ा दायित्व है ! कई विय मन में आए-गए , अंत में मैंने सोचा कि यदि भारतीय साहित्य अनेक भाषाओं में लिखा एक साहित्य है तो किसी भी काल में विभिन्न भाषाओं की समस्याओं, चुनौतियों और संभावनाओं में कुछ समानताएँ तो जरूर होंगी।


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