महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से तीन नये अतिथि लेखक जुड़े




महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से जुड़े तीन नये अतिथि लेखक

कवि ऋतुराज, कवि-उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल तथा साठोत्तरी कथा पीढ़ी के प्रमुख स्तंभ दूधनाथ सिंह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के तीन नये अतिथि लेखक होंगे। प्रसिद्ध कथाकार व कथालोचक विजय मोहन सिंह तथा कथाकार संजीव का कार्यकाल समाप्त होने पर कुलपति विभूतिनायायण राय ने ये नियुक्तियाँ की हैं ।

कविता के वाद-प्रतिवाद और तथाकथित गुटबंदी परक आंदोलनों से दूर ऋतुराज सातवें दशक के एक विरल कवि हैं। कविता की प्रखर राजनैतिकता के दौर में उन्होंने अपनी काव्यभाषा के लिये एक नितांत निजी मुहावरा रचा और अँगीठी में सुलगती आग की तरह उनकी कविताएँ आज भी नये कवियों के लिए अपरिहार्य बनी हुई हैं।


अपने उपन्यास दीवार में खिड़की रहती थी के लिये साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि -उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल सही मायने में हिंदी के जीनियस रचनाकार हैं। नौकर की कमीज,दीवार में खिड़की रहती थी और खिलेगा तो देखेंगे नाम से उनके तीन उपन्यासों की त्रयी ने एक तरह से भारतीय निम्न मध्यवर्ग का एक आधुनिक महाकाव्यात्मक शास्त्र रचा है । शब्द और उनके अर्थो की विच्छिन्नता के इस दौर में उनकी कवितायें शब्दों में उनके अर्थों की वापसी का जीवन्त दस्तावेज हैं।


साठोत्तरी कथा पीढ़ी के सर्वाधिक तेजस्वी लेखकों में से एक कथाकार दूधनाथ सिंह हिंदी के उन गिने चुने लेखको में हैं जिनकी प्रतिभा एक विधा के दायरे में नही बंध सकी। अपनी प्रमुख पहचान कहानियों के अलावा निराला एवं महादेवी पर उनका आलोचनात्मक कार्य,लौट आ ओ धार! जैसा संस्मरण और यमगाथा जैसा नाटक हिंदी साहित्य की उपलब्धियाँ हैं ।

हिंदी के इन विलक्षण रचनाकारों की एक साथ विश्वविद्यालय में उपस्थिति से परिसर का रचनात्मक वातावरण एक दस्तावेजी महत्व की तरह का होगा ,ऐसा भरोसा कुलपति ने जताया है।


1 टिप्पणी:

  1. लौटेंगे
    फिर से
    खोखल में पांखी
    बैठेंगे उड़ उड़
    अमुआं की डारी !
    मादक रसीले
    टपकेंगे
    कूँची के महुये
    नचती गिलहरी
    पतझर से हारी !
    बरगद की फुनगी
    कोंपल सजेगी
    कानों की लटकन सी
    इमली की फलियाँ,
    फूलेंगी फूलों की
    बगिया गुलाबी
    गायेंगे भौंरे
    मधुबन की गलियाँ,
    उजड़े
    वनों की
    उजड़ी आजादी
    अँखुओं सजेगी
    कुल्हारियों की मारी !
    लौटेंगे
    फिर से
    खोखल में पांखी
    बैठेंगे उड़ उड़
    अमुआं की डारी !
    मादक रसीले
    टपकेंगे
    कूँची के महुये
    नचती गिलहरी
    पतझर से हारी !
    सरफरोसी धोबिन
    धोएगी मल मल
    अपने जिगर के लहू से
    दामन का काजल,
    किया नालों ने
    नदियों को आहत
    दूषित किया है
    दंभों ने पोखर का जल,
    विस्तार पाकर
    तलैयाँ
    तलबा बनेंगी
    हांथों में
    थाँमकर कुदारी !
    लौटेंगे
    फिर से
    खोखल में पांखी
    बैठेंगे उड़ उड़
    अमुआं की डारी !
    मादक रसीले
    टपकेंगे
    कूँची के महुये
    नचती गिलहरी
    पतझर से हारी !
    भूलना नहीं है
    हाँकना है
    शतरंगी अजगर
    बगईचों की छाँव से,
    दहशत में तितली
    सहमी चिरैया
    चापलूस गिरगिट
    खेलते हैं गाँव से,
    सहगान
    चुनगुनिया
    निर्झर झरेंगे
    संगीत सरिता
    बहायेगी कोयल दुलारी !
    लौटेंगे
    फिर से
    खोखल में पांखी
    बैठेंगे उड़ उड़
    अमुआं की डारी !
    मादक रसीले
    टपकेंगे
    कूँची के महुये
    नचती गिलहरी
    पतझर से हारी !

    भोलानाथ
    डॉराधा कृष्णन स्कूल के बगल में
    अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर
    जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
    संपर्क – 8989139763

    जवाब देंहटाएं

आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मूल्यवान् है। ऐसी सार्थक प्रतिक्रियाएँ लक्ष्य की पूर्णता में तो सहभागी होंगी ही,लेखकों को बल भी प्रदान करेंगी।। आभार!