tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post6478347261358671161..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: डबडबाती भाषा से बाहर आते हुए कुछ बातेंUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-69397757098078411472010-07-28T15:36:21.972+01:002010-07-28T15:36:21.972+01:00Rajeev Matwala कहते हैं -
लेख को पढ़ना अच्छा लगा...Rajeev Matwala कहते हैं -<br /><br /> लेख को पढ़ना अच्छा लगा और प्रभावित भी हुआ... उम्मीद हा इसी तरह आगे भी लिखा जाता रहेगा और यही सही अर्थों में साहित्य की पूजा होगी|Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-91083961899541425872010-07-28T15:35:00.101+01:002010-07-28T15:35:00.101+01:00बृज भूषण भारद्वाज कहते हैं -
dabdabati bhasha s...बृज भूषण भारद्वाज कहते हैं - <br /><br /> dabdabati bhasha se ----- very good article,<br /><br /> Dabdabati ---- article is v.good. but Sir , your own openion is in favour or in disfavour ?Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-21860592709893150442010-07-28T15:33:02.059+01:002010-07-28T15:33:02.059+01:00आपके इतने लम्बे दिशाहीन आलेख को पढना निराशाजनक रहा...आपके इतने लम्बे दिशाहीन आलेख को पढना निराशाजनक रहा । अगर आप चित्रकार हैं तो बेहतर होगा कुछ चित्र जैसा बनाएं.... बेसिर पैर की लफ्फाज़ी न तो आपको हुसैन के पास ले जाएगी और न उनका विरोध करने वालों के पास ।RAJESHWAR VASHISTHAhttps://www.blogger.com/profile/01683041193283259654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-66567782879971041292010-07-28T15:31:18.703+01:002010-07-28T15:31:18.703+01:00कानपुर से श्री सत्यनारायण शर्मा कमल जी ने ईमेल स...कानपुर से श्री सत्यनारायण शर्मा कमल जी ने ईमेल से लिखा - <br /><br /><br />कला जब अवांछित कला-कर्म में प्रवृत्त हो तो उसे प्रदूषित <br />कला ही कहा जाएगा और ऐसे कलाकार का समाज <br />जितना तिरस्कार करे कम होगा | कुछ अंधे राजनीतिबाज <br />मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण ऐसी हुसैन-महिमा का गायन <br />कर रहे हैं उन्हें कम से कम हिन्दू मानना उचित नहीं |<br />कमलKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-87193451078467180522010-07-28T15:29:40.904+01:002010-07-28T15:29:40.904+01:00राय बरेली से डॉ. अमरकुमार जी ने ईमेल से लिखा -
...राय बरेली से डॉ. अमरकुमार जी ने ईमेल से लिखा -<br /><br /><br />बस इतना ही कहूँगा कि अपने अँतर्विरोधों के चलते, कला के अधकचरे ज्ञान वाले बुद्धिजीवी समाज ने उनको शिखर पर टाँग दिया । शेष कहानी तो जगजाहिर है... लाखों की कृति बेचने वाला कुछेक हज़ार में किसी से भी मनोनुकूल समीक्षा लिखवा लेगा । यह उन्होंने बखूबी किया, इस हद तक की उनके पक्ष में एक प्रोपैगँडा मशीन ही तैयार हो गयी । हुसैन पर सिर धुन कर उन्हें महत्व न देना ही उनका सम्मान होगा । यह भी नकारात्मक प्रचार में गिना जायेगा.. Let everybody ask.. who is Hussain, is he socially relevant ? What is his contribution to art except creating a school for controversies, he has always been idiosyncratic to himself.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-43057340188736070162010-07-27T17:32:17.482+01:002010-07-27T17:32:17.482+01:00अत्यंत विचारोत्तेजक तथा कला समीक्षा की सूक्ष्म जान...अत्यंत विचारोत्तेजक तथा कला समीक्षा की सूक्ष्म जानकारियों से परिपूरित आलेख के लिए आपका अभिनंदन.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-91859170018449774022010-07-27T04:24:11.925+01:002010-07-27T04:24:11.925+01:00LIKE YOUR ARTICLE.
GOOD CRITIC.
BUT,IS IT IN FAVOU...LIKE YOUR ARTICLE.<br />GOOD CRITIC.<br />BUT,IS IT IN FAVOUR OR DIS FAVOUR OF-- M.F.HUSAUN .? <br />WHAT IS YOUR, NET, RESULTED OPENION ?Unknownhttps://www.blogger.com/profile/01680202085273622035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-25446217271014339042010-07-27T03:25:10.412+01:002010-07-27T03:25:10.412+01:00कला का मूल स्वभाव ही यही रहा है कि वो ठेस पहुंचाती...कला का मूल स्वभाव ही यही रहा है कि वो ठेस पहुंचाती है...खास कर उनको जो खुद को समाज की दशा-दिशा का नियंता मानते हैं...<br /><br />सहमत...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.com