tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post4667377383721574098..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: हिन्दी में दक्षिण भारतीय साहित्यUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-35343006533012122422009-01-09T18:59:00.000+00:002009-01-09T18:59:00.000+00:00शब्दसृजन पर इसका लिंक दे रहा हूं।शब्दसृजन पर इसका लिंक दे रहा हूं।योगेंद्र कृष्णा Yogendra Krishnahttps://www.blogger.com/profile/17366269677319716325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-84056599939621602172009-01-09T18:50:00.000+00:002009-01-09T18:50:00.000+00:00कविता जी,आपके इस ब्लॉग पर संभवत: पहली बार आ रहा हू...कविता जी,<BR/>आपके इस ब्लॉग पर संभवत: पहली बार आ रहा हूं। अच्छा लगा।<BR/>पटना में आपसे बातचीत में आप जो भी प्रयास कर रही हैं उसकी एक ईमानदार और गंभीर झलक मुझे दिखी थी। ब्लॉग पर आ कर उसकी आश्वस्ति भी मिली। आभार एवं शुभकामनाओं सहित।योगेंद्र कृष्णा Yogendra Krishnahttps://www.blogger.com/profile/17366269677319716325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-28175002642365062052009-01-08T20:18:00.000+00:002009-01-08T20:18:00.000+00:00इस जानकारी के लिये आप का धन्यवाद जब भी कभी यह पुस्...इस जानकारी के लिये आप का धन्यवाद जब भी कभी यह पुस्तक मिळी इसे जरुर पढूगां , शायाद इसी साल.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-82578536384656140862009-01-08T17:56:00.000+00:002009-01-08T17:56:00.000+00:00दक्षिण भारत की ४ मूल्यवान धरोहर रुपी भाषाओँ के योग...दक्षिण भारत की ४ मूल्यवान धरोहर रुपी भाषाओँ के योगदान पर आधारित यह पुस्तक एक प्रषँशसनीय प्रयास है - मैँ भी इसे पढना चाहूँगी <BR/>जानकारी का आभार जी <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-63748032933803831142009-01-08T13:21:00.000+00:002009-01-08T13:21:00.000+00:00हमारे लिए तो यह जानकारी मूल्यवान है परंतु २१६ प्रि...हमारे लिए तो यह जानकारी मूल्यवान है परंतु २१६ प्रिष्ठोन के ग्रंथ की कीमत ४७५ रुपये रखना अन्यायपूर्ण हैं. क्या ऐसे प्रकाशनों के लिए अनुदान की व्यवस्था नही रही होगी?P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com