tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post314190705149240184..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: इस जुए में दाँव पर स्वयं हम हैंUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-22692094433214713072008-10-30T04:22:00.000+00:002008-10-30T04:22:00.000+00:00पूंजी के युग में मूल्य बाजार तय करता है, उस में लग...पूंजी के युग में मूल्य बाजार तय करता है, उस में लगा श्रम नहीं। यहाँ उपयोगिता की भी बड़ी भूमिका नहीं है। आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन कभी आवश्यकता से कई गुना अधिक होने लगता है तो कभी कई गुना कम। यह व्यवस्था अमानवीय है। जब मनुष्य प्रकृति की शक्तियों पर नियंत्रण कर सकता है तो इस पर भी नियंत्रण कर इसे मानवीय बना सकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com