tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post1892408184545308438..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: जाति मिटे तो गरीबी हटेUnknownnoreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-76212165360718030522017-08-03T18:42:46.259+01:002017-08-03T18:42:46.259+01:00बात आपकी सही है लेकिन जाति व्यवस्था ने सामाजिक जीव...बात आपकी सही है लेकिन जाति व्यवस्था ने सामाजिक जीवन जीने की एक संरचना प्रदान की।आज जब हम जाति विशेष के आधार पर एक दूसरे को नीच ठहराने लगे हैं तब इसमे समस्या उत्पन्न हो गई है।<br />blogger salmanhttps://www.blogger.com/profile/12044354575826195886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-59030425630618914372015-08-04T01:55:53.451+01:002015-08-04T01:55:53.451+01:00I also appreciate your views but want to say one t...I also appreciate your views but want to say one thing that backwards are ready to leave their caste titles if they get a surrounding where no private schools, colleges and hospitals will exist.<br />They want from the nation that where their children are studying and being hospitalized all should go for this . Then it will be equality otherwise concept of equality is just for trapping poor's mind.<br /><br />I think.if it can't be done then our government should equalize wealth level .,then we can go for no castisizm .and it will be justice.Deenbandhu Kumarhttps://www.blogger.com/profile/01469321428497463761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-4498404852733665972010-08-08T19:37:06.303+01:002010-08-08T19:37:06.303+01:00अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.a...अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com <br />आप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !<br />इसके साथ ही www.apnivani.com पहली हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट है| जन्हा आपको प्रोफाइल बनाने की सारी सुविधाएँ मिलेंगी!<br /><br />धनयवाद ... apnivani.com टीम.अपनीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/10555146565452596247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-16164029155352795542010-08-08T15:48:10.121+01:002010-08-08T15:48:10.121+01:00भारत में छुआछूत की बीमारी सदियों पुरानी है। जैसे-ज...भारत में छुआछूत की बीमारी सदियों पुरानी है। जैसे-जैसे इसके प्रयास किए जाते हैं। यह बीमारी और जोर पकड़ लेती है। जुलाई 2010 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज, कानपुर, इटावा तथा शाहजहाँपुर जनपद में ऊंची जातियों के छात्रों ने दलित रसोइयों द्वारा तैयार भोजन का बहिस्कार कर दिया था। उन छात्रों को आखिर छुआछूत का पाठ किसने पढ़ाया। धर्म और जाति के नाम पर यह व्यवहार कहाँ तक जायज़ ठहराया जा सकता है? सभी जानते हैं कि हर वर्ष पूरे देश में दशहरे के अवसर पर रामलीला का मंचन पर किया जाता है। उस अवसर पर ’सती सिलोचना’ का कथा-प्रसंग भी मंचित होता है। उक्त कथा-मंचन से क्या यह संदेश प्रचारित नहीं होता है कि सती होना गौरव की बात है? सती-प्रथा को किसी भी तरह से बढ़ावा देना भारत में कानूनन अपराध है। इसे प्रचारित और प्रसारित करना आज किसी भी सभ्य समाज के लिए गौरव की बात नहीं है। इस मामले में युगानुकूल सामाजिक बदलाव की आवश्यकता है?डॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-45381727292149006832010-08-08T15:44:26.072+01:002010-08-08T15:44:26.072+01:00आज जिस समाज में हम रह रहे हैं वह वास्तव में राजशाह...आज जिस समाज में हम रह रहे हैं वह वास्तव में राजशाही के ईट-गारे से बना है। उसी से उपजे बहुत सारे नियम-कानून हम आज भी ओढ़-बिछा रहे हैं। जाने-अनजाने हम उस राजतांत्रिक व्यवस्था के संस्कारों को पोषित करते हैं जो आधुनिक युग में अपनी प्रसांगिकता खो चुके हैं। हमारे अनेक तीज-त्योहार भी उसी ढ़र्रे पर बने हैं और उन्हें हर साल परंपराओं के नाम पर मनाते हैं। इन अवसरों पर जनसाधरण को बड़ी चतुराई से निदेशित किया जाता है। लोग बिना कुछ समझे-बूझे आरोपित संस्कारों को अपने आचरण में उतार लेते है। कुछ टीवी चैनल भी अवैज्ञानिकता और अंधविशवास को हवा देने में परहेज़ नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में सुधारवादियों के द्वारा किए सामाजिक सुधार के अनेक प्रयास धरे के धरे रह जाते हैं। उनके द्वारा किए गए प्रयासों का असर होता भी है तो बहुत सीमित मात्रा में और बहुत सीमित क्षेत्र में होता है। सदियों से चली आ रही जातिवाद और धर्मवाद की रूढ़ियाँ अपना पुराना आकार पुनः धारण कर लेती हैं। यह तो वही बात हुई-एक तरफ नशाबंदी के विरुद्ध अभियान चलाया जाए और दूसरी ओर शराब की दूकानें खुलवायी जाती रहें।डॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-41696836662175945982010-08-08T14:39:12.905+01:002010-08-08T14:39:12.905+01:00आपका चिंतन राष्ट्र हित में है पर जातियों को बनाए र...आपका चिंतन राष्ट्र हित में है पर जातियों को बनाए रखना और उनकी गिनती करवा कर ताल-ठोंकना उनके हित में है जो जातियों को वोट बैंक मानते हैं । उनमें से अधिकांश शिक्षित भी नहीं हैं और आपराधिक पृष्ठ-भूमि से भी हैं इसलिए वे जाति का महत्व हम से अधिक जानते हैं, इस देश में कुख्यात डाकू फूलन देवी जब सांसद बनी थी तो क्या उसे आप और हम जैसे लोग वोट देने गए थे । जातियाँ हैं तो सीटों का आरक्षण है, लालू और रामविलास की माया संसद की काया में कैसे प्रवेश करेगी अगर जाति हिन्दुस्तानी हो गई तो ?RAJESHWAR VASHISTHAhttps://www.blogger.com/profile/01683041193283259654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-23742772054531324172010-08-08T12:47:28.244+01:002010-08-08T12:47:28.244+01:00यह एक आदर्श स्थिति होगी कि जाति मिट जाए। यद्यपि इस...यह एक आदर्श स्थिति होगी कि जाति मिट जाए। यद्यपि इसे एक असम्भव स्थिति नहीं माना जाना चाहिए,यह स्वीकार करना होगा कि न तो जाति की वास्तविकता को नकारा जा सकता है और न ही जाति मिटने को विकास की आवश्यक शर्त के रूप में देखा जाना चाहिए। ऐसा भी प्रतीत होता है कि जाति यदि हटी,तो वह राजनीति से इतर प्रयासों से ही हटेगी।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-16611989746698288782010-08-08T09:00:02.198+01:002010-08-08T09:00:02.198+01:00गरीबी मिटे न मिटे पर वोट तो बटे! नेता को और क्या च...गरीबी मिटे न मिटे पर वोट तो बटे! नेता को और क्या चाहिए :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-2221355027150473642010-08-08T03:16:21.728+01:002010-08-08T03:16:21.728+01:00आपका आलेख गहरे विचारों से परिपूर्ण होता है।आपका आलेख गहरे विचारों से परिपूर्ण होता है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com