tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post1711342378679159931..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: "चाहती हूँ मैं, नगाड़े की तरह बजें मेरे शब्द’'Unknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-40966322067938270292008-11-03T01:14:00.000+00:002008-11-03T01:14:00.000+00:00बहुत ही उम्दा आलेख...आनन्द आ गया.बहुत ही उम्दा आलेख...आनन्द आ गया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-40086983274420614272008-11-02T05:31:00.000+00:002008-11-02T05:31:00.000+00:00निर्मला पुतुल की इस कविता में आदिवासी नारी की स्थि...निर्मला पुतुल की इस कविता में आदिवासी नारी की स्थिति सामने आ जाती है। जिन बातों का उल्लेख आज की स्थिति के संदर्भ में आपने इस कविता के द्वारा किया है उनसे मैं पूरी तरह सहमत हूँ पर एक बात जो खटकती है वो ये कि<BR/>विकास को अपनी संस्कृति से कटाव का मुख्य कारण बता कर इसका विरोध करना मुझे आदिवासी समाज के लिए दूरदर्शी नहीं लगता।<BR/><BR/>ये सही है कि आज जो विकास के नाम पर हो रहा है उस विकास में आदिवासियों की सहभागिता ना के बराबर है। पर अपनी जमीं पर वे और फले फूलें, समाज के अन्य वर्गों का सम्मान पाएँ इसके लिए जरूरी है कि आदिवासी नेता अपने समाज में शिक्षा और उद्यमशीलता के महत्त्व पर बल डालें। तभी वो सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का उचित लाभ उठा सकेंगे। सिर्फ जल जंगल जमीन से जुड़े रखकर आदिवासी अस्मिता बची रह सकती है ये नेताओं का प्रपंच है। भारत के हर कोने से जो लोग विस्थापित हो कर विश्व के हर कोने में बस गए क्या वे अपनी संस्कृति भूल गए हैं। <BR/><BR/>झारखंड में विगत दस वर्षों से रहते हुए मैं देख रहा हूँ कि जिन आदिवासियों ने बदलती दुनिया में शिक्षा के महत्त्व को समझा है वे तेजी से आगे बढ़े हैं पर ये फैलाव शहरों तक संकुचित हो कर रह गया है । आशा है इस समाज से जुड़े बुद्धिजीवी इस पुनर्निर्माण और आगे बढ़ने की ललक को संचारित करेंगे ताकि ठेकेदारों और अफसरशाही द्वारा शोषण का मुकाबला अपने लोगों द्वारा इन क्षेत्रों में दाखिल हो कर किया जाए।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-77157967091589269642008-11-02T03:48:00.000+00:002008-11-02T03:48:00.000+00:00बहुत सुंदर । नारी के मन का सारा आक्रोश जैसे शब्दों...बहुत सुंदर । नारी के मन का सारा आक्रोश जैसे शब्दों मेंउतर आया हो यही नही उसका हल भी ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-81479445126239846412008-11-02T01:30:00.000+00:002008-11-02T01:30:00.000+00:00बेहतरीन प्रस्तुति!बेहतरीन प्रस्तुति!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-19640608424726428362008-11-02T01:10:00.000+00:002008-11-02T01:10:00.000+00:00अच्छी प्रस्तुतीअच्छी प्रस्तुतीGyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.com