tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post1666168603867071468..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: बुर्के से क्यों डरता है फ्रांसUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-370134079855140502009-07-04T19:18:26.208+01:002009-07-04T19:18:26.208+01:00इस लेख पर फेसबुक में की गयी टिप्पणियाँ
Pratib...इस लेख पर फेसबुक में की गयी टिप्पणियाँ <br /><br /><br /><br />Pratibimba Barthwal<br /> Pratibimba Barthwal at 5:54pm July 1<br />जी डा वेदप्रताप जी ने सही विश्लेष्ण किया है. हर देश को दुसरे धर्मो का सम्मान करना चाहिए. लेकिन धर्म के ठेकेदारों को भी सोचना चाहिए की उनके कार्य देशविरोधी न हो ....<br /><br /><br /><br />Javed Ahmed<br /> Javed Ahmed at 6:13pm July 1<br />ved ji ne kafi achchha likha hai....badhai...par franc jo kar raha hai ya jo karna chahata hai us se koi farak nahi padne wala hai...islam ko....ye kahana ki islam pe prahar hai galat hai...aur jaha tak islam ki baat hai islam ko jitana dabane ki koshish jab jab ki gai hai islam utana hi faila hai.....mere khyal se franc ka viradh nahi karna chahiye..thanx kavita ji to share this article<br /><br /><br /><br /><br />Rajesh Shukla<br /> Rajesh Shukla at 11:37pm July 4<br />वैदिक जी से आसानी से सहमत नही हुआ जा सकता। अरे! बेचारी मुस्लमान औरते घुटन से मरती रहती है। उसे खतम करना चाहिये। कानून बनाकर किया जाय तो थोडा आसान होगी बात क्योकि मुल्ले परम्परा खतम नही होने देना चाहते।<br /><br /><br /><br />Rajesh Shukla<br /> Rajesh Shukla at 11:37pm July 4<br />वस्तुतः स्त्री की आजादी मे पुरूष का बडा योगदान होता है=मुस्लिम समाज के शहरी युवक तो थोडा सोच रहे है लेकिन जो मुक्तिबोध के शब्दो मे "पूँछ है" उससे वे उबर नही पा रहे हैं। सरकोजी ने यह साहस तो किया। स्त्रियों को धन्यवाद करना चाहिये। यह स्वतंत्रता किसी भी तरह पाने योग्य है।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-60786214755967895302009-07-02T22:01:13.993+01:002009-07-02T22:01:13.993+01:00अनवर सुहैल जी (anwarsuhail_09@yahoo.co.in) द्वारा ...अनवर सुहैल जी (anwarsuhail_09@yahoo.co.in) द्वारा समूह पर ईमेल से भेजी टिप्पणी <br /><br />buka aur bikni thik wahi wahiaat tark hai ki patni ya prostitute. hame nahin bhulna chahiye ki aurton ne so-called liberation ke naam par apni deh yani jism ko kitni aasani se bazaar ko saunp diya hai ki matra ek disigner dress ke liye girls apni jawani ka sauda kar rahi hain<br />isliye ye aurton par chhod dena chahiye ki we kaise rehna pasand karengi<br />mardwadi soch hai vaidik jii ki <br />bassss<br /><br />anwar suhailKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-919299059576451412009-07-02T10:20:15.834+01:002009-07-02T10:20:15.834+01:00ईमेल द्वारा प्राप्त अनूप भार्गव जी anoop_bhargava@...ईमेल द्वारा प्राप्त अनूप भार्गव जी anoop_bhargava@yahoo.com की टिप्पणी <br /><br /><br />आदरणीय वैदिक साहब के संतुलित विचारों से अक्सर सहमति रहती है , इस लेख में भी उन्होनें कुछ अच्छे बिन्दु उठाये हैं लेकिन ’बुरके’ की ’बिकिनी’ से तुलना करने की बात गले से नहीं उतरती । <br /><br />और चाहे कुछ भी सही हो लेकिन अगर १० बुरका पहनने वाली स्त्रियों से पूछा जाये कि वह क्या वह वास्तव में बुरका पहनना चाहती हैं और यही सवाल १० बिकिनी पहनने वाले महिलाऒं से पूछा जाये कि क्या वह वास्तव में बिकिनी पहनना चाहती हैं तो मेरा विचार है कि हां कहने वाली स्त्रियों की संख्या समान नहीं होगी । <br /><br />महिलाओं को बुरका क्यों पहनना चाहिये , इस के दिये गये कारण पहले भी गलत थे और आज और भी अधिक गलत हैं । <br /><br />यदि एक पल के लिये मान भी लिया जाये कि फ़्रांस में स्त्रियों का बिकिनी पहनना मर्दों की उद्रदाम वासना का पात्र बनने का प्रतीक है (जैसा कि वैदिक जी कह रहे हैं) तो यह एक और गलत बात है जिस पर विचार करना चाहिये । एक गलत बात दूसरी गलत बात को सही नहीं कर देती । <br /><br />बुरके पर प्रतिबन्ध इस्लाम पर प्रहार माना जायेगा , ऐसा सोच कर चुप रहना भी गलत होगा । शायद इसी तुष्टीकरण की नीति और moderates के चुप रहने नें इस्लाम को extremeist हाथों तक पहुँचाया है । ज़रूरत है हर धर्म के मूलभूत सिद्दांतो को एक बार फ़िर से कसौटी पर परखने की और यदि उन में कोई कमी है तो उस के खिलाफ़ आवाज़ उठाने की , चाहे वह धर्म हिन्दु हो या इस्लाम ।<br /><br />वैदिक साहब के लिये पूर्ण आदर के साथ ।<br /><br />अनूप भार्गवKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-44457282252426736582009-07-02T03:42:41.545+01:002009-07-02T03:42:41.545+01:00बुर्का और बिकनी के बारे में आपके विचार पढ़कर नये तर...बुर्का और बिकनी के बारे में आपके विचार पढ़कर नये तर्क मिले।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-70213431539507674642009-07-01T15:22:06.997+01:002009-07-01T15:22:06.997+01:00र्के से फ्रांस की संस्कृति कैसे चौपट होती है, क्या...र्के से फ्रांस की संस्कृति कैसे चौपट होती है, क्या वे बताएँगे ? बुर्के से फ्रांस की संस्कृति नष्ट होती है और बिकिनी से उसकी रक्षा होती है, यह कौनसा तर्क है ? बुर्का ज्यादा बुरा है या बिकिनी ? बुर्का पहननेवाली औरतें खुद को नुकसान पहुँचाती हैं लेकिन चोली-चड्रडीवाली औरतें सारे समाज को चौपट करती है।| फ्रांस ने औरत को वासना का थूकदान बनाने के अलावा क्या किया है ? फ्रांसीसी समाज में स्वतंत्र्ता और मानव अधिकार के नाम पर औरत मर्दों की उद्रदाम वासना का पात्र बनकर रह गई है। बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के पहले बिकिनी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता ?<br /><br />बहुत खूब, आपके मन को शान्ति मिल गयी होगी इन विचारों को व्यक्त करके। हर देश की नैतिकता के अपने मायने होते हैं, बिकनी का जो अर्थ आपकी नजर में है वो शायद उनकी नजर में न हो।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-59313243400919286262009-07-01T12:58:28.948+01:002009-07-01T12:58:28.948+01:00मुस्लमान या फिर सिख सभी फ्रांस में प्रवासी है. वे ...मुस्लमान या फिर सिख सभी फ्रांस में प्रवासी है. वे वहां के मूल नागरिक नहीं हैं. उन्होंने जब वहां की नागरिकता ग्रहण की होगी तो देश के कानून का पालन करने की शपथ भी ली होगी. जिस कानून को देश की बहुसंख्यक जनता का समर्थन हासिल है उसे कुछ प्रवासियों को नकारने का हक़ सिर्फ इसलिए नहीं मिल जाता कि उस देश की बहुसंख्यक जनता ने उन्हें उस देश में बसने का अधिकार दिया और ये मौका दिया के वे अपनी जनसँख्या बढा कर कुल जनसँख्या का ६-७ % तक कर लें. 'जैसा देश -वैसा भेस ' यही मूल नीति है परदेश में बसने की.<br />फ्रांस को पूरा अधिकार है अपने देश और नागरिकों के लिए कानून बनाने का.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-18396884761458871762009-07-01T12:10:30.132+01:002009-07-01T12:10:30.132+01:00फ्रांस का काम इस पाबंदी के बिना भी चल ही रहा था. ब...फ्रांस का काम इस पाबंदी के बिना भी चल ही रहा था. बाकी उनकी मर्ज़ी, मुल्क उनका है. <br />ठीक वैसे ही जैसे खाड़ी देशों में उनकी अपनी मर्ज़ी है भई,Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-8651376640911862572009-07-01T10:18:49.617+01:002009-07-01T10:18:49.617+01:00इसी लिए हमारे यहाँ मुस्लिम औरतों के सशक्तिकरण की ब...इसी लिए हमारे यहाँ मुस्लिम औरतों के सशक्तिकरण की बात नहीं होती उन्हे उनके निजी कानूनों के हवाले कर दिया गया है. क्योंकि विश्व आतंकवाद से इस्लाम घबराया हुआ है! <br /><br />पता नहीं कौन किससे घरबराया हुआ है?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.com