tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post1109253391540556017..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले हीUnknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-27745130215544891472009-08-05T12:35:30.884+01:002009-08-05T12:35:30.884+01:00maya ji ne apne murkh raja hone ka prichye diya ha...maya ji ne apne murkh raja hone ka prichye diya hai .Dr.Adhurahttps://www.blogger.com/profile/00694900449853395636noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-79268083914738071222009-04-07T19:14:00.000+01:002009-04-07T19:14:00.000+01:00राज किशोर जी, आपने इस आलेख को इस धारणा पर आधारित क...राज किशोर जी, आपने इस आलेख को इस धारणा पर आधारित किया है कि वरुण ने एक गम्भीर आपराधिक कृत्य कर दिया है और उसे जेल में बन्द करके मायावती ने बड़ा पुनीत कार्य किया है। मुझे आप जैसे मूर्धन्य पत्रकार/लेखक से इतने सतही विश्लेषण की उम्मीद नहीं थी।<BR/><BR/>वरुण ने जो कथित भड़काऊ भाषण दिया है उस प्रकार की बातें मस्जिदों, गुरुद्वारों, आर.एस.एस. की शाखाओं और चर्चों के बन्द दरवाजों के पीछे सामान्य तौर पर की जाती हैं। यहाँ अपने धर्म की रक्षा के लिए हर प्रकार से तैयार रहने, बाहरी हमलावरों को मार डालने, अपने धर्म के विरुद्ध हाथ उठाने वालों को कड़ा जवाब देने, हाथ काट लेने की बातें तो होती ही हैं, धार्मिक कट्टरता के नायक खुलेआम साम्प्रदायिक आधार पर रैली और आन्दोलन भी चलाते हैं और दबाव समूह बनाकर राजनीति की रोटी भी सेंकते हैं। जब केवल हिन्दू धर्म वाले आत्मरक्षा की बात करते हैं तो इसे साम्प्रदायिक करार दिया जाता है। <BR/><BR/>वरुण की गलती यह है कि उन्होंने अपने मन की बात शातिर ढंग से नहीं कही बल्कि सीधे और सपाट तरीके से वह सब कुछ कह गये जो बाकी लोग मन में तो रखते हैं लेकिन सामाजिक मर्यादा के डर से सामने नहीं आते। भले ही छिपछिपाकर इससे भी खतरनाक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। वरुण के बयान को एक सीमा तक ईमानदार अभिव्यक्ति ही कहना होगा।<BR/><BR/>मायावती ने जिस प्रकार के माफिया अपराधियों और बाहुबलियों को अपनी पार्टी से टिकट दिया है वे इस समाज में ज्यादा जहर घोलने वाले हैं। वरुण ने तो खुलकर अपनी सोच उजागर कर दी है। जिसे पसन्द आये वो साथ दे और जिसे पसन्द न आये वो इसके खिलाफ़ वोट डाले। झूठे आश्वासन के बजाय साफगोई से अपनी बात रखने का काम तो प्रशंसनीय है। जनता अपना फैसला आगामी चुनावों में जरूर सुनाएगी।<BR/><BR/>मायावती ने एक शातिर नेता की भाँति वरुण को रोकने के लिए जिस प्रकार सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है वह निन्दनीय है। भ्रष्टाचार के सारे पिछले रिकार्ड ध्वस्त करते हुए सरकारी मशीनरी को धन लूटने का जैसा औंजार इस मुख्य मन्त्री ने बना दिया है वह अभूतपूर्व है। फिर भी अपनी तुलना मदर टेरेसा से करके निर्लज्जता और ढिठाई का जो नमूना बहन जी ने पेश किया है, उसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलने वाली है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-20837896301749665442009-04-07T07:35:00.000+01:002009-04-07T07:35:00.000+01:00बहुत सटीक पोस्ट लिखी है।लेकिन जो काम वर्य़्ण ने किय...बहुत सटीक पोस्ट लिखी है।लेकिन जो काम वर्य़्ण ने किया ऐसा ही बयान कभी राजीव ने भी दिया था शायद आपको पता हो......कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो.......।उस समय मारे गऎ लोगो के परिवारो पर मरहम लगाने के बदले नमक-मिर्च छिड़का गया था। उस समय कोई विरोध ना हुआ .....जैसा आज हो रहा है।मै वरूण के बयान को सही नही ठहरा रहा। बल्कि राजनीति मे करनी और कथनी का अंतर बता रहा हूँ।इसे अन्यथा न ले।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-2923302844684147592009-04-07T00:44:00.000+01:002009-04-07T00:44:00.000+01:00द्वेष की राजनीति चल रही है।ममता झुलस रही है।द्वेष की राजनीति चल रही है।<BR/>ममता झुलस रही है।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com