tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post1006337673311604235..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: हिन्दी को टूटने से बचाएँUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-78897649440805689102012-10-17T09:02:17.706+01:002012-10-17T09:02:17.706+01:00बिना किसी सहारे के हिंदी कितनी दूर तक आ गयी, सहारा...बिना किसी सहारे के हिंदी कितनी दूर तक आ गयी, सहारा देना तो दूर सदा से अपने लोग ही हिंदी के रास्ते के रोडे बने हुए हैं | बेशर्मी की इन्तहा हो गयी |Jai Kumarhttps://www.blogger.com/profile/01935362123619504652noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-13205619317734567782012-08-09T19:34:03.226+01:002012-08-09T19:34:03.226+01:00I THINK U WRITE WITH THE HEART
जबसे कांग्रेस सत्त...I THINK U WRITE WITH THE HEART<br />जबसे कांग्रेस सत्ता में आया है | हिंदी को कमज़ोर करते जा रहे है | अब ये वो कांग्रेस नहीं है जो राजीव,इंदिरा,लाल बहादुर शास्त्री, पटेल जैसा कोई मेम्बर हो |अब यहाँ का चीएफ़ सोनिया गाँधी है वो क्या क्या जाने हिंदी की मर्म को वो तो खुद इंग्लिश बेब है .रही बात राहुल का तो ये लोग भी शिक्षा इंग्लिश में हि ग्रहण करते है इनलोगों को क्या पता होगा |देश में कांग्रेस की मौजूदा जो राजनितिक भागीदारी उसमे वो अहिन्दी भासी क्षेत्रो में जयादा ससक्त है |यथा दक्षिण भारत में | इन्हें हिंदी भाषा की कोई फ़िक्र नहीं होती है | ये लोग हिंदी से जयादा अन्ग्रेगी को तवज्जो देते है |यह समय हिंदी के लिए संकट का समय है |लेकिन जयादा चिंता की बात नहीं है |हिंदी युगों से कई कठिनाइयो का सामना करते हुए आगे बढ़ी है वो इस सबको भी झेल के आगे भद जायेग |चितंबरम की ऐसे कई नीतियों की काट है बस हिंदी भाषियों को एकजुट होना हो <br />अब भी मैथिली भासी या फिर भोजपुरी भासी गर्व से हिंदी को हि अपना मात् भाषा बताते हैPRAVEEN KUMARhttps://www.blogger.com/profile/02813742245520405947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-14903084655484254302012-07-15T16:39:41.902+01:002012-07-15T16:39:41.902+01:00लेखक ने बहुत मेहनत से हिंदी की सहोदर बोलियों का ज़ि...लेखक ने बहुत मेहनत से हिंदी की सहोदर बोलियों का ज़िक्र किया है, जिनके बारे में मुझे मालूम नहीं था. और एक तरह से ये एक सीखने की बात है मेरे लिए. और अमरनाथ जी के इस ज्ञान के लिए आदर. परन्तु इस लेख के राजनैतिक कंटेंट से मेरी सहमति नहीं हैं. संस्कृतनिष्ठ हिंदी जो आजादी के बाद उर्दू से अलग होने के चक्कर में कुछ साम्प्रदायिक मनोवृति के लोगों ने रची है हिन्दुस्तान में, और अरबीनिष्ठ उर्दू जो पकिस्तान में रची गयी है, उसने इन दोनों भाषाओँ को लंगडा कर दिया है, शुद्त्ता के चक्कर में, जिसके चलते, ज्ञान-विज्ञान की बात, कोई नयी बात, इन दोनों भाषों में लिखना मुश्किल और समझना और भी मुश्किल हो गया है. और इस हिंदी से लोगों की दूरी है, कोई इसे बोलता समझता नहीं है. अच्छा हो कि इसका स्वरूप बदले. हिंदी को नहीं अब हिन्दुस्तानी को क्लेम करने की जरूरत है, जिसमें बोलचाल की भाषा, उर्दू-हिंदी, और हिंदी की तमाम सहोदर बोलियों की मिठास और स्वाद, लोक की समझ, और आसानी से संवाद स्थापित करने वाली ज़बान में कठिन से कठिन विषयों पर लिखा बोला जा सके.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-88479978430989714932012-07-15T04:28:30.711+01:002012-07-15T04:28:30.711+01:00We all know that Hindi that was developed after in...We all know that Hindi that was developed after independence in shade of hindu samprdayikta+in puritan way will no longer exist, because it is not really in which populace does conversation, neither it can be useful in learning in wide array of scientific-technical and socio-political aspect. But we need a common "language" for this country, that should be inclusive of all dialect of hindi-urdu and open to other Indian languages.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-70126600178094143072012-07-15T03:36:00.875+01:002012-07-15T03:36:00.875+01:00वाकई बहुत गम्भीर मामला है। राजनीति की भेंट चढ़ती ज...वाकई बहुत गम्भीर मामला है। राजनीति की भेंट चढ़ती जा रही है हिन्दी। भाषा और बोली का भेद समझ नहीं पा रहे हैं लोग।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/15057775263127708035noreply@blogger.com