tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post8043791043430471561..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: कण्डोम प्रमोशन कार्यक्रम : सांस्कृतिक धूर्तता का वैज्ञानिक मुखौटा (३) - प्रभु जोशीUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-42151974004597024812008-09-06T13:58:00.000+01:002008-09-06T13:58:00.000+01:00भाषा बहुत ही उचें दज़्रे की है,आम आदमी को कोइ लाभ न...भाषा बहुत ही उचें दज़्रे की है,आम आदमी को कोइ लाभ नहीं होने वालाnaresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-79894242489986985832008-09-06T10:03:00.000+01:002008-09-06T10:03:00.000+01:00आज का खुला बाज़ार हर चीज़ की खुली छूट देता है - सेक्...आज का खुला बाज़ार हर चीज़ की खुली छूट देता है - सेक्स की भी। आप को एतिहात चाहिए, तो वो भी बाज़ार में मौजूद है कण्डोम की शक्ल में। नहीं मिलती, तो नैतिकता जो आज अमूल्य बनती जा रही है - शायद भारतीय संस्कृति कि तरह , जिसे अब कोई नहीं पूछता - हां, अमूल्य- अब कोई मूल्य जो नहीं रह गया है!!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com