tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post5202504472512242617..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: प्रवासी साहित्य की परिभाषा क्या होनी चाहिए?Unknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-40337002485604661182009-04-04T07:06:00.000+01:002009-04-04T07:06:00.000+01:00यहाँ प्रश्न उठाया गया है प्रवासीहिंदी साहित्य किसे...यहाँ प्रश्न उठाया गया है प्रवासीहिंदी साहित्य किसे कहें? इससे जुडे कई और प्रश्न भी उठाए गए हैं जिनका मन्थन करने की आवश्यकता है। प्रवासी किसे कहेंगे - वे जो विदेशों में है या विदेशों मे रह कर भारत लौट आए हैं...साहित्य किसे कहेंगे..प्रवासियों के संस्मरण या ऐसा लेखन जो कहानी, कविता, आलेख में ढल गए हैं...हिन्दी जो मानक है या देशज स्थानीय भाषा में लिखी गई जैसे हमारे कई पडोसी देशों में लिखी जा रही रचनाएं। <BR/>इन सब का विभागीकरण करके देखें तो मूलतः हम उसे ही प्रवासी हिंदी साहित्य कहेंगे जो प्रवासी भारतीय नागरी में लिख रहे हैं..भले ही उनकी भाषा मानक हिंदी न हो पर हिंदी के पाठक उसे समझ सकते हों।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-84714680370702370492009-04-04T05:11:00.000+01:002009-04-04T05:11:00.000+01:00कृष्ण कुमार जी ने दो प्रश्न उठाए हैं। जो भारतीय ...कृष्ण कुमार जी ने दो प्रश्न उठाए हैं। जो भारतीय विदेशों में रहकर साहित्य साधना कर रहे हैं, उनका दर्द उन्होंने सांझा करने का प्रयास किया है। लेकिन यहाँ दो शब्द निकलकर आते हैं एक प्रवासी साहित्य और दूसरा प्रवासी साहित्यकार। <BR/>प्रवासी साहित्य से अर्थ जब भी लिया जाएगा तब स्थान विशेष का महत्व होगा। यदि भारत का कोई भी व्यक्ति विदेश प्रवास के दौरान लिखे गए अपने अनुभव को प्रवासी साहित्य के अन्तर्गत रखेगा? शायद नहीं। लेकिन जो लोग विदेश में बरसों से रह रहें हैं और उस स्थान के बारे में, वहाँ की संस्कृति के बारे में लिखते हैं तब वह प्रवासी साहित्य होना चाहिए। या फिर ऐसे प्रवासी साहित्यकार भारत के प्रति अपना लेखन तुलनात्मक अध्ययन के साथ लिखते हैं तब भी वह प्रवासी साहित्य के अन्तर्गत आना चाहिए। नहीं तो प्रवासी साहित्यकार की श्रेणी में ही वे सब लोग रहने चाहिए जो विदेश में साहित्य साधना कर रहे हैं। <BR/>वैसे भी साहित्य सभी के हित के लिए होता है, इसे श्रेणीबद्ध करना शिक्षाविदों का तो कार्य हो सकता है लेकिन साहित्यकारों का नहीं। <BR/>दूसरा प्रश्न भाषा को लेकर है। साहित्य की कोई भाषा नहीं होती। यह प्रश्न भी शिक्षाविदों के लिए ही है। श्रेष्ठ विचार शैली किसी भी भाषा में लिखी गयी हो साहित्य ही कहलाएगी। हाँ उसे सभी को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने के लिए अनुवादक हैं न। <BR/>एक अन्य प्रश्न मुझसे भी किया गया था जब मैंने अकादमी में अन्तरराष्ट्रीय सम्मान की पहल की थी। तब मुझसे एक वरिष्ठ साहित्यकार ने पूछा था कि अन्तरराष्ट्रीय की परिभाषा क्या है? एक प्रवासी साहित्यकार कैसे अन्तरराष्ट्रीय बन सकता है? अन्तरराष्ट्रीय तो वह होगा जिसे सम्पूर्ण विश्व में पहचान मिले।<BR/>इसलिए प्रश्न कई हैं, ये सारे ही प्रश्न शिक्षाविदों के लिए हैं, हम साहित्यकारों के लिए नहीं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-41970891650609131672009-04-04T01:40:00.000+01:002009-04-04T01:40:00.000+01:00कविता जी!प्रवासी भारतीय लोगों को यदि हिन्दी का प्र...कविता जी!<BR/>प्रवासी भारतीय लोगों को यदि हिन्दी का प्रचार-प्रसार विदेशों में करने के लिए हिन्दी के मानको को ही अपनाना चाहिए। तभी हिन्दी जन-जन की भाषा के रूप में स्थापित हो सकेगी।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-50142806597793111822009-04-03T22:39:00.000+01:002009-04-03T22:39:00.000+01:00सामयिक और उपयोगी चर्चा आरम्भ करके अपने बहुत अच्छा ...सामयिक और उपयोगी चर्चा आरम्भ करके अपने बहुत अच्छा किया.<BR/><BR/>इस विषय क्षेत्र से जुड़े और इस पर चिंतन करने वाले विद्वानों के विचारों से परिचित होने का अवसर मिलेगा इस बहाने.<BR/><BR/>>ऋ.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-42769219674096530482009-04-03T21:08:00.000+01:002009-04-03T21:08:00.000+01:00कविता जी, मेरे मत से प्रवासी साहित्य वही होता है ज...कविता जी, मेरे मत से प्रवासी साहित्य वही होता है जो भारतीय मूल के किसी भी व्यक्ति के भारत की भूमि से बाहर रह कर<BR/>रचा गया साहित्य है - उसमेँ भाषा की विविधता भी शामिल होगी जैसे अवधी ब्र्जभाषा तथा अन्य आँचलिक भाषाएँ - <BR/>जैसा जीफी, गियाना, मोरेशीयसि इत्यादी के साहित्यकारोँ ने रचा -<BR/> मैँ खुद "प्रवासी भारतीय " ही कहलाऊँगी - <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com