tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post4683447800273866808..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: बैंकिंग उद्योग के लिए एक प्रस्तावUnknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-88667073458656024072016-11-10T13:05:31.266+00:002016-11-10T13:05:31.266+00:00Helo,
मैं Blenda कोनोली, उधारदाताओं
व्यक्तिगत ऋण
...Helo,<br />मैं Blenda कोनोली, उधारदाताओं<br /><br />व्यक्तिगत ऋण<br />एक जीवन भर का व्रत अवसर।<br />आप एक ऋण के लिए सही दूर की जरूरत है<br /><br />अपने कर्ज का भुगतान करने के लिए, या आप<br /><br />बढ़ाने के लिए ऋण की जरूरत है<br /><br />अपने वाणिज्यिक?<br />आप द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है<br />बैंकों और अन्य संस्थानों को आर्थिक रूप से?<br />आप एक ऋण के एकीकरण की जरूरत है<br /><br />या ग्रहणाधिकार प्रतिज्ञा?<br />फिर से देख रहे हैं क्योंकि हम यहाँ हैं<br /><br />अपनी समस्याओं के सभी आर्थिक रूप से बनाने के लिए<br /><br />एक मामले में पिछले है। हमें<br /><br />व्यक्तियों के लिए धन उधार दे<br />कौन है, आर्थिक रूप से मदद की जरूरत है जो<br /><br />बुरा क्रेडिट है या<br /><br />पैसे की जरूरत है<br />बिलों का भुगतान करने के लिए, में निवेश करने के लिए<br /><br />2% के स्तर पर वाणिज्य। मैं महू<br /><br />सूचित करने के लिए इस माध्यम का उपयोग<br /><br />आप हम सहायता प्रदान करते हैं कि<br /><br />यकीन किया जाए और प्राप्तकर्ता और होगा<br /><br />loan.So संपर्क पेशकश करने को तैयार<br /><br />आज हमें ई-मेल के माध्यम से:<br />(Blendaconnollyloanfirm@gmail.com)<br />डाटा उधारकर्ताओं<br />1) पूरा नाम:<br /><br />..............................<br /><br />............... ..........<br />2) देश: ..............................<br /><br />................ ........... ..<br />3) पता: ..............................<br /><br />................ ............<br />4) देश: ..............................<br /><br />................ ................<br />5) लिंग:<br /><br />..............................<br /><br />................ .............. ....<br />6) विवाह की स्थिति:<br /><br />..............................<br /><br />............... ....<br />7) कार्य:<br /><br />..............................<br /><br />................ .. .....<br />😎 संख्या फ़ोन:<br /><br />..............................<br /><br />................ ..<br />9) हालांकि कार्यस्थल में ब्यूरो:<br /><br />.....................<br />10) मासिक आय:<br /><br />..............................<br /><br />...............<br />11) ऋण राशि की आवश्यकता:<br /><br />.............................. .......<br />12) अवधि ऋण:<br /><br />..............................<br /><br />............... ...<br />13) ऋण भत्ते:<br /><br />..............................<br /><br />..............<br />14) धर्म: ..............................<br /><br />................ ..... .....<br />15) इससे पहले कि आप विनती कर रहे हैं<br /><br />........................ .........<br />धन्यवाद,<br />BlendaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18420210721825774418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-569739206623966462009-01-13T18:20:00.000+00:002009-01-13T18:20:00.000+00:00एक अर्थशास्त्री हुए हैं माथस जिन्होंने कहा था कि ज...एक अर्थशास्त्री हुए हैं माथस जिन्होंने कहा था कि जनसंख्या ज्योमेट्रिक और साधन रिथ्मेटिक प्रोग्रेशन में बढते है और इसलिए हमें कमज़ोर की सहायता नहीं करना चाहिए -SURVIVAL OF THE FITTEST. यह एक नकारत्मक सोच ही समझी जाएगी। कमज़ोर की सहायता के लिए पैसा ज़रूरी है। और उसके लिए बीमा व बैंक कार्य कर रहे है जो आज के युग में अनिवार्य भी लगते हैं। इससे लाखों लोगों को रोज़गार भी मिल रहा है। इन्हीं बैंकों के माध्यम से लाखों बेरोज़गारों को वित्तीय सहायता भी मिल रही है जिससे वे अपने पैरों पर खडे हो सके। हां. यदि कोई बेईमानी करके लूट रहा है तो उसे कौन रोक सकता है - बैंक नहीं तो कोई और संस्था ही सही। उसे तो कोई नहीं रोक सकता- खास कर जब तंत्र ही भ्र्ष्ट हो।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-8970989250236045762009-01-11T07:16:00.000+00:002009-01-11T07:16:00.000+00:00कर्ज के रूप में दी जाने वाली राशिः को आप ब्याज कहे...कर्ज के रूप में दी जाने वाली राशिः को आप ब्याज कहें या कोई और कुछ, रहेगा तो वह बैंक के लिए एक आमदनी का जरिया. अन्य देशों की बैंकिंग व्यवस्था और भारतीय बैंकिंग में बहुत अन्तर है. हमारे यहाँ बैंकों के लिए आवश्यक है की वे कुल ऋण का लगभग ४०% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को सुलभ कराएँ वह भी सस्ते ब्याज की डर पर. किसी प्रकार की जमानत की मांग नहीं की जा सकती. इसके अतिरिक्त सरकार की विभिन्न गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में भी दिल खोल कर वित्त पोषण किया जाना होता है. इन सब के चलते अलाभकारी आस्तियों की मात्रा इतनी अधिक हो गई थी की कई बैंकों का बट्टा बैठ गया. सरकार ने उनकी मदद भी की. अतः आपका लेख पढने में तो पीगू के कल्याणकारी अर्थशास्त्र के अनुरूप बड़ा अच्छा लग रहा है. लेकिन स्पष्टतः भारतीय बैंकिंग के वर्त्तमान स्थिति से अनजान रह कर की जा रही बातें हैं.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-15596572516359519092009-01-11T01:38:00.000+00:002009-01-11T01:38:00.000+00:00आपके विचार अच्छे हैं लेकिन बाजार के हिसाब से नहीं ...आपके विचार अच्छे हैं लेकिन बाजार के हिसाब से नहीं हैं इसलिये चलने से रहे। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com