tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post3913604983147099677..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: षड्यंत्र को `ज़रूरत’ बताने की मासूमियत का मर्मUnknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-2310448707916935932016-03-15T02:46:24.157+00:002016-03-15T02:46:24.157+00:00ग्यान तो बान्टने से बढ़ता है फिर यह तालाबन्द क्यों...ग्यान तो बान्टने से बढ़ता है फिर यह तालाबन्द क्यों।ram chandra shuklahttps://www.blogger.com/profile/09601246585015962241noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-19614465691896100632010-03-30T06:49:55.149+01:002010-03-30T06:49:55.149+01:00असहमत होने का तो सवाल ही नहीं उठता. यह दीर्घकालीन ...असहमत होने का तो सवाल ही नहीं उठता. यह दीर्घकालीन षड़यंत्र भारत में वर्ग आधारित समाज के कारण ही सफल हो रहा है. स्वतंत्रता के बाद देश ऐसे हाथों में चला गया जिन्हें अपने भारतीय होने पर शर्म आती थी. वे हर उस चीज़ जो देशज थी, उसे हेय समझते थे. <br /><br />आदिवासी और आदिम भाषाओँ को स्थानीय भारोपीय बोलियाँ लील रहीं हैं, हिंदी स्थानीय बोलियों को तेजी से निगल रही है, हिंदी अंग्रेजी का ग्रास बन रही है. इसके ज़िम्मेदार हम कहीं न कहीं खुद हैं. हममें चीन, जापान, कोरिया की तरह अपने परिवेश, भाषा, संस्कृति पर गर्व और उसके संरक्षण का भाव नहीं है. क्रियोलीकरण का यह खेल पश्चिमी देश चीन, जापान, कोरिया, अरब, ईरान में इतनी आसानी से नहीं हो सकता. आदिवासियों का धर्मांतरण भी कुछ ऐसा ही हथियार है. <br /><br />------------------------<br /><br />मैंने पिछली एक टिप्पणी में दिए असगर वजाहत के लेख का लिंक कॉपी करने की कोशिश की. पर धन्य हो आपका ताला! हम लिंक जैसी चीज़ें और सन्दर्भ भी कॉपी नहीं कर सकते. <br /><br />अगर लोग इसमें से कुछ चुरा भी लें तो आपका ऐसा कौन सा बड़ा नुकसान हो जाएगा? कोई चुराई हुई सामग्री के दम पर विश्वस्तरीय साईट तो खड़ी करने से रहा. हां लोग इन लेखों को अपने ब्लॉग और साईट पर जगह देंगे तो आपके विचार ज्यादा लोगों तक अवश्य पहुंचेंगे. खैर अपनी अपनी सोच.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-61636438246956551092010-03-30T04:08:23.135+01:002010-03-30T04:08:23.135+01:00प्रभुजी को कोई "ऑ" और इसकी मात्रा टाइप क...प्रभुजी को कोई "ऑ" और इसकी मात्रा टाइप करना सिखाए। <br />कविता जी, आप तो "फाॉर" जैसी ग़लतियाँ, एक "रिप्लेस ऑल" से फ़ौरन सुधार सकती हैं। इसे ठीक कीजिए।सोनूhttps://www.blogger.com/profile/15174056220932402176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-84315205122186599862010-03-30T03:50:59.019+01:002010-03-30T03:50:59.019+01:00असग़र वजाहत का मूल लेख इधर है:
http://janatantra.c...असग़र वजाहत का मूल लेख इधर है:<br />http://janatantra.com/2010/03/19/asgar-wajahat-article-on-hindi-font-second-part/सोनूhttps://www.blogger.com/profile/15174056220932402176noreply@blogger.com