tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post1501485760096060254..comments2023-12-16T02:31:12.678+00:00Comments on हिन्दी-भारत: साहित्यिक दुनिया का वर्तमान : दिल्ली की जय होUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-58506393572158479262009-06-07T15:43:45.771+01:002009-06-07T15:43:45.771+01:00और
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दुनिया का वर्तमान
भी यही है
जय हो।और<br /> ..........<br />दुनिया का वर्तमान<br />भी यही है<br />जय हो।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-46848606513228666632009-06-07T07:28:37.414+01:002009-06-07T07:28:37.414+01:00सटीक व बढिया आलेख प्रेषित किया है।सटीक व बढिया आलेख प्रेषित किया है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-81216222873460999852009-06-07T04:00:29.185+01:002009-06-07T04:00:29.185+01:00सुन्दर लेख!सुन्दर लेख!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-47667642517900533802009-06-06T20:13:27.410+01:002009-06-06T20:13:27.410+01:00बद्रीनारायण का यह आलेख आज के हिंदी साहित्य के परिद...बद्रीनारायण का यह आलेख आज के हिंदी साहित्य के परिदृश्य पर कटु स्पष्टोक्ति है. मेरा अनुभव और मत तो यह है कि दिल्ली या अन्य गढों से दूर रहकर लिखने वाले रचनाकार अपनी जनता की चित्तवृत्ति के अधिक निकट की रचनाएँ दे पाते हैं जबकि गढानुमोदित साहित्य ढांचाबद्ध और निर्जीव प्रतीत होता है. <br /><br />''हिंदी भारत'' में बद्रीनारायण के इस विचारोत्तेजक आलेख की प्रस्तुति पर अभिनन्दन!<br />आशा है कि उनके और भी आलेख इस मंच के माध्यम से पढने का अवसर मिलेगा.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8714172719590854723.post-7865250691361337792009-06-06T18:46:54.748+01:002009-06-06T18:46:54.748+01:00जब सारे सरदार दिल्ली में बैठे हों, अपने गुर्गों को...जब सारे सरदार दिल्ली में बैठे हों, अपने गुर्गों को स्थापित कर रहे हों, तो अन्य रचनाकार दोयम दर्जे के हुए कि नहिं?चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com