सरबजीतों को यों मरने न दें


- डॉ. वेद प्रताप वैदिक 


'दो से ज्यादा रहे होंगे सरबजीत सिंह के हत्यारे'सरबजीत सिंह अगर भारतीय जासूस होता या आतंकवादी होता तो क्या हमारी सरकार को पता नहीं होता? सरकार को सरबजीत के बारे में सब कुछ पता था| पता ही नहीं था, उसे गहरा विश्वास था कि वह जासूस नहीं था और लाहौर में हुए बम विस्फोट से उसका कुछ लेना-देना नहीं था| यह तथ्य सरबजीत की हत्या के बाद आए प्रधानमंत्री और विदेश सचिव के बयानों से भी सिद्घ होता है तो फिर क्या वजह है कि सरबजीत की रिहाई और रक्षा के प्रति हमारी सरकार ने इतना ढुल-मुल रवैया अपना रखा था? पहचान की गड़बड़ी के कारण असली अपराधी मंजीतसिंह छूट गया और उसकी जगह सरबजीत फंस गया| उसने 22 साल कोट लखपत की जेल में काट दिए और अब उसकी हत्या भी हो गई| इस नृशंस कांड के लिए आखिर किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?

हत्या और मृत्युदंड : शहीद सरबजीत और आतंकी कसाब

- कविता वाचक्नवी


सरबजीत की पाकिस्तान की जेल में कर दी गई हत्या के बाद  देश और देश की सरकार के कारिन्दे पहले से तैयार कर रखे गए बयान पढ़ने में मशगूल हैं। जो लोग कसाब को संवैधानिक ढंग से दिए गए दण्ड पर विलाप कर रहे थे, भारत को कोस रहे थे, वे कविता-कहानी और अपनी पुस्तकों और प्रकाशन के आयोजन की चर्चाओं में मस्त व्यस्त हैं। 



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