येन बद्धो बली राजा,दानवेन्द्रो महाबलः

येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः





आज श्रावणी पर्व है। श्रावण मास की पूर्णिमा द्विजों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण पर्व रहा है। इसका एक विशिष्ट नाम ‘उपाकर्म’ भी है। यह ऋषि-तर्पण का दिन है। सूर्योदय के समय गुरु अपने शिष्यों के साथ सामूहिक रूप से पवित्र नदी-सरोवर में स्नान कर यज्ञोपवीत बदलते हैं,पंचगव्य (गाय का दूध,घी,दही,मूत्र और गोबर) का प्राशन कर वर्ष भर किए गये जाने-अनजाने पापों का प्रायश्चित्त करते हैं।[पंचगव्य मे गोबर का रस निकालकर मिलाया जाता है] तदनन्तर घाट पर या किसी समीपवर्ती देवालय में जाकर नया यज्ञोपवीत(जनेऊ) धारण करते हैं और ऋषि-मुनियों, नदी-पर्वतों, द्वीपों-खण्डों, देवों-पितरों का नाम ले-लेकर सादर स्मरण करते हैं। इसके बाद चार मास का स्वाध्याय,वेदाध्ययन शुरु करते हैं,जिसे चातुर्मास कहा जाता है। जो ब्राह्मण आज भी स्वधर्म अर्थात्‌ पठन-पाठन,यजन-याजन और दान देने-लेने में रत हैं, वे आज के दिन प्रातःकाल दशविध स्नान, प्रायश्चित्त, ऋषि-पूजन, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत-पूजन और स्वाध्याय का श्रीगणेश अवश्य करते हैं।



आज चातुर्मास केवल साधु-संतों का प्रचारित होता है। बचपन में हमलोग उत्साह्पुर्वक अपने गुरुजनों के साथ यह कृत्य करते थे। इसके बाद पिताजी सबसे पहले हमलोगों को और उसके बाद यजमानों को येन बद्धो बली राजा,दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम्‌ प्रतिबध्नामि रक्ष्ये मा चल मा चल॥’ मंत्र पढकर राखी बाँधते थे।आज मैकाले के मानस-सुत भले ही इसे पुरोहितों का स्वार्थ समझें, मगर उसके पीछे जो सर्वे भवंतु सुखिनः का दिव्य भाव था,वही भारतीय संस्कृति का आधार था।



इस प्रकार रक्षाबंधन गुरु-शिष्य,पुरोहित-यजमान के बीच राखी बाँधने का पर्व था। सन्‌ 1960 तक रक्षा-बंधन का यही स्वरूप कम से कम गाँवों में व्याप्त था। उसके बाद भाई-बहन के त्योहार के रूप में यह ऐसा लोकप्रिय हुआ कि आज इसके मूल स्वरूप को पुराने लोग भी भूल गये हैं। नई पीढी को तो यह सब अजूबा लगेगा, क्योंकि हमारी शिक्षा-पद्धति बच्चों को एक्स्मस डे का इतिहास तो बताकर कृतार्थ होती है, मगर भारतीय त्योहारों की चर्चा करते समय उसे साँप सूँघ जाता है। फिलहाल बाज़ार ने नयी-नयी राखियों और कीमती उपहारों के विज्ञापनों की वर्षा कर इस भाई-बहन के त्योहार को भी धनी परिवारों की विलासिता में बदल दिया है। अफ़सोस यही है।

- बुद्धिनाथ मिश्र

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12 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही लिखा आपने!! आधुनिकता की आँधी ओर पश्चिमी शिक्षा तथा विचार पद्धति ने हमारी संस्कृ्ति को नष्ट-भ्रष्ट करने में कोई कमी नहीं छोडी है!
    बेहतरीन पोस्ट के लिए आभार्!!

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  2. रक्षाबन्धन पर बढ़िया प्रस्तुति है।
    हार्दिक शुभकानाएं.

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  3. बहुत अच्छा लेख है।
    मैकोले का नाम देखकर उसके बारे में पढ़ा। कई कड़वे सच सामने आए।

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  4. I like the way u write blog.

    I had not seen such a beautiful blog in Hindi.

    Nice post!!



    Raksha Bandhan Sms.

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  5. Raksha Bandhan is coming soon on 29 of August highly celebrated in India, visit this site and get collect several wallpapers and wishes from

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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