एक गीत `उनके' नाम : जी भर रोया

कुछ दिन की स्तब्ध कर देने वाली घटनाओं के क्रम में आज की सुबह हुई, एक और ऐसा समाचार आया कि सभी अवसन्न रह गएतभी मुझे निम्न संदेश के साथ एक गीत प्राप्त हुआआप भी पढ़ सकते हैं --
कविता वाचक्नवी




प्रिय कविता जी,
यह सप्ताह हिन्दी के हास्य कवियों के लिए बहुत घातक निकला. भोपाल वाली सड़क दुर्घटना के सदमे से उबरा नही था कि आज बड़े भाई श्री उदय प्रताप सिंह जी का sms मिला कि आज अल्हड़ बीकानेरी भी हमसे बिछड़ गए. एक गीत उन सभी दिवंगत कवि मित्रों के नाम , जिनका साथ मुझे 40 वर्षों से मिला था

बुद्धिनाथ



जी भर रोया
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रोज एक परिजन को खोया
पाकर लम्बी उमर आज मैं
जी भर रोया।


जिनके साथ उठा-बैठा
पर्वत-शिखरों पर
उनको आया सुला
दहकते अंगारों पर
जो था मुझे जगाता
सारी रात हँसा कर
वह है खुद लहरों पर सोया।


एक-एक कर तजे सभी
सम्मोहन घर का
रहा देखता मैं निरीह
सुग्गा पिंजर का
हुआ अचंभित फूल देखकर
टूट गया वह धागा
जिसमें हार पिरोया।


किसके-किसके नाम
दीप लहरों पर भेजूँ
टूटे-बिखरे शीशे
कितने चित्र सहेजूँ
जिसने चंदा बनने का
एहसास कराया
बादल बनकर वही भिगोया।


- डॉ. बुद्धिनाथ




6 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कभी ऐसा लगता है कि जीवन, ईश्‍वर के द्वारा मनुष्‍य के साथ किया गया सबसे क्रूर मज़ाक है। ...खैर वासांसि जीर्णानि यथा विहाय...

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  2. अफ़सोस! बीकानेरी जी को विनम्र श्रद्धांजलि!

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  3. REHA DEHTA MEIN NIRIH
    SUGGA PINJER KA
    BAHUT HI SAMVEDNATMAK ....AUR PARISTHITHI KI BHAYAVEHTA KO UKERTIYE PANKTIYAN ...BAHUT PRABHAVSHALI BANI HAI DR BUDHIPRAKSH JI YE KAVITA...

    जवाब देंहटाएं

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