बीबीसी हिन्दी (व अन्य)की विष्णुप्रभाकर जी के सम्बन्ध में भारी भूल

कई लोगों ने आज बीबीसी हिन्दी पर इस समाचार को देखा होगा

जिसका आरम्भ कुछ यों है -

"साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का निधन

जाने-माने हिंदी साहित्यकार पद्म विभूषण विष्णु प्रभाकर का
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शनिवार को दिल्ली में निधन हो गया. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.

विष्णु प्रभाकर 97 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनकी दो बेटियाँ और दो बेटे है. विष्णु प्रभाकर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा क्योंकि उन्होंने मृत्यु के बाद अपना शरीर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को दान करने का फ़ैसला किया था.

उन्हें उनके उपन्यास अर्धनारीश्वर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. उनका लेखन देशभक्ति, राष्ट्रीयता और समाज के उत्थान के लिए जाना जाता था.

उनकी प्रमुख कृतियों में 'ढलती रात', 'स्वप्नमयी', 'संघर्ष के बाद' और 'आवारा मसीहा' शामिल हैं. इनमें से 'आवारा मसीहा' प्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार शरतचंद्र चटर्जी की जीवनी है जिसे अब तक की तीन सर्वश्रेष्ठ हिंदी जीवनी में एक माना जाता है.

विष्णु प्रभाकर का जन्म 29 जनवरी 1912 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के मीरापुर गाँव में हुआ था. उनकी माता महादेवी एक शिक्षित महिला थीं जिन्होंने अपने समय में परदा प्रथा का विरोध किया था.

हिंदी में प्रभाकर

उनकी पहली नौकरी एक चतुर्थ श्रेणी की थी और उन्हें मात्र 18 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था. उन्होंने अपनी इस नौकरी के साथ पढ़ाई भी जारी रखी और हिंदी में प्रभाकर और हिंदी भूषण की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने अंग्रेज़ी में भी स्नातक किया.

बाद में अपनी नौकरी के साथ ही उन्होंने एक नाटक कंपनी में भी भाग लिया और 1939 में 'हत्या के बाद' नामक एक नाटक लिखा जो उनका पहला नाटक था.

बीच में कुछ समय के लिए उन्होंने लेखन को अपना पूरा समय दिया. उन्होंने 1938 में सुशीला नामक युवती के साथ विवाह किया.

स्वतंत्रता के बाद उन्होंने 1955 से 1957 तक आकाशवाणी, नई दिल्ली में ड्रामा निर्देशक के रूप में काम किया. वर्ष 2005 में उन्होंने राष्ट्रपति भवन में दुर्व्यवहार होने का आरोप लगाते हुए अपना पद्मविभूषण सम्मान लौटाने की बात कही थी."


आश्चर्य अत्यन्त दुःख की बात है कि उपर्युक्त समाचार में "पद्मविभूषण "जाने कितने बजे से यहाँ ऐसे ही लगा है और किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। समाचार में लाल रंग से बोल्ड किए शब्दों को ध्यान से पढ़िए। इनमें बताया गया है कि प्रभाकर जी को पद्म विभूषण सम्मान दिया गया जबकि तथ्य कुछ और हैं। मैंने अभी देखा तो तुंरत जो टिप्पणी उन्हें शिकायत के रूप में क्षमा माँगने के लिए कहते हुए लिखी, उसे अभी तक बीबीसी द्वारा पारित नहीं किया गया। आप उसकी एक कॉपी नीचे देख सकते हैं



" विष्णु प्रभाकर जी के देहावसान के समाचार में आपने एक भारी भूल की है।
विष्णु प्रभाकर जी को पद्मविभूषण नहीं अपितु पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था।

भले ही पद्म सम्मानों की साईट पर जा कर देख लें,या अपने यहाँ के २००५ में छ्पे समाचार की आवृत्ति कर लें। यह राष्ट्रीय मानापमान का मामला है, आपको क्षमा माँगते हुए तुरन्त सुधार करना चाहिए"
. वा.



मेरे उक्त तथ्य की पुष्टि के लिए आप निम्न आधिकारिक साईट पर देख सकते हैं-

This page in Hindi (External website that opens in a new window)

Padma Bhushan Awardees

Search Awardees

Showing 141 to 150 of 1003

  • Shri Madurai Thirumalai Nambi Seshagopalan
    Arts : 2004 : India : Tamil Nadu
  • Dr. Smt. N. Rajam
    Arts : 2004 : India : Uttar Pradesh
  • Smt. Poornima Arvind Pakvasa
    Social Work : 2004 : India : Gujarat
  • Prof. Sardara Singh Johl
    Science & Engineering. : 2004 : India : Punjab
  • Shri Soumitra Chatterjee
    Arts : 2004 : India : West Bengal
  • Shri Thoppil Varghese Antony
    Civil Service : 2004 : India : Tamil Nadu
  • Shri Tiruvengadam Lakshman Sankar
    Civil Service : 2004 : India : Andhra Pradesh
  • Shri Vishnu Prabhakar
    Literature & Education : 2004 : India : Delhi
  • Shri Yoshiro Mori
    Public Affairs : 2004 : Japan :
  • Shri Ammannur Madhava Chakyar
    Arts : 2003 : India : Kerala



ऐसी ही स्थिति और ग़लत जानाकारियोम की उपस्थिति नेट पर और कई जगह है, जहाँ जगह जगह `आवारा मसीहा' को उनकी अपनी जीवनी बताया गया है , यहाँ तक कि हिन्दी विकीपीडिया तक पर भी ऐसी ही चूक आज दोपहर तक चली रही थी।जो परिवर्तन मैंने किए उन्हें यद्यपि अब पूरी तरह हटाया जा चुका है,हिन्दीभारत के गत लेख के सन्दर्भ सहित|



ऐसे ही तीसरी घटना - इस लिंक पर जाकर देखें तो पाएँगे कि यहाँ उनका नाम तक प्रभाकरन कर दिया गया है और आवारा मसीहा को `उनकी' जीवनी बताया गया है। कुछ अंश देखें -

Prabhakaran was born on January 29, 1912 in the Mirapur village of Muzaffarnagar district in Uttar Pradesh.

Writer of over 50 published works, Dr Prabhakaran had written novels, plays and story collections in his lifetime.

A unique characteristic of his works is that it had elements of patriotism, nationalism and messages of social upliftment.

Dr Prabhakar was awarded Padma Bhushan and the Sahitya Akademi Award for his novel Ardhanarishvara (The Androgynous God or Shiva).

He had also won lot of acclaim for his biography ''Awara Maseeha''. (ANI)


यहाँ भी मैंने टिप्पणी करके भूल सुधार के लिए आग्रह किया है, किंतु अभी तक न तो सुधार किया गया है व न ही टिप्पणी को ही पारित किया गया है।

आप भी यदि हिन्दी के इन कृती लेखक के प्रति अपना ऋण चुकाने की भावना रखते हैं तो कृपया ऐसे लिंक खोजिए उन्हें भूल सुधार के लिए बाध्य करिएताकि आने वाली पीढियों को नेट खंगालने पर हिन्दी के ऐसे अमर साहित्यकार तक की जानकारी भ्रामक, झूठी, अधूरी, अंतर्विरोधों से भरी ग़लत मिले। शायद इसी तरह हम अपने मन का बोझ कुछ कम कर सकें।


- कविता वाचक्नवी





9 टिप्‍पणियां:

  1. बी.बी.सी. हिन्दी (व अन्य)को
    इस भूल के लिए क्षमा माँगनी चाहिए।

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  2. इतना बड़ी भूल एक बड़े प्लेटफॉम पर हुई है बहुत चिंता की बात है।

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  3. यह समाचार स्थायी रूप से अंतरजाल पर रहेगा। इसलिए यहाँ दिये गए समाचारों का विश्वसनीय होना अनिवार्य है।

    जवाब देंहटाएं
  4. B.B.C. और विकीपीडिया पर यह त्रुटियाँ नि़श्चय ही नहीं रहनी चाहिये । आपने इनका संशोधन कर अच्छा किया । विष्णु जी को सच्ची श्रद्धांजलि । धन्यवाद ।

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  5. कविता जी नमस्‍कार
    आप नेट पर जो काम कर रही हैं वह केवल जरूरी ही नहीं बल्कि आने वाले कल के लिए बहुत गंभीर भी है। इसे किसी भी दृष्टिकोण से कमतर नहीं आंका जा सकता। आज की एक भूल सुधार पता नहीं कितनी पीढि़यों के लिए है। आपके इस प्रयास के लिए साधूवाद और मैं भी कोशिश करूंगा कि जिनती मुझे जानकारी है उतना सुधार के लिए प्रयत्‍न करूंगा। निश्‍चय ही आप जितनी न तो मुझे जानकारी है न ही समझा लेकिन कुछ भी बदलाव ठोस किया जाए तो वह आगामी पीढि़यों के लिए महत्‍वपूर्ण
    होगा।
    आपके प्रयास के लिए एक बार फिर साधूवाद...

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  6. मित्रो, आपके सहयोग,समर्थन व राय के लिए आभारी हूँ।
    बी.बी.सी.हिन्दी ने अपनी चूक को सुधार लिया है। अब वहाँ पद्म विभूषण को हटाकर सही अलंकार ‘पद्मभूषण’ कर दिया गया है। यद्यपि उन्होंने टिप्पणी को सार्वजनिक या प्रकाशित नहीं किया किन्तु यह सन्तोष की बात है कि इतनी भयंकर चूक सुधार ली गई।
    बीबीसी हिन्दी के अधिकारियों को टिप्पणी पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद।

    यह उदाहरण प्रमाणित करता है कि यदि पाठक सचेत हों तो कई दुर्गतियाँ सुधर सकती हैं।
    पुन: आप सभी का धन्यवाद।

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  7. ऐसी भूल तो -किसी मनीषी को मवेशी , कहने/ या संबोधित करने तुल्य है। इसका तुरंत सुधार होना अनिवार्य है।

    जवाब देंहटाएं
  8. ऐसी भूल तो -किसी मनीषी को मवेशी , कहने/ या संबोधित करने तुल्य है। इसका तुरंत सुधार होना अनिवार्य है।

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आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मूल्यवान् है। ऐसी सार्थक प्रतिक्रियाएँ लक्ष्य की पूर्णता में तो सहभागी होंगी ही,लेखकों को बल भी प्रदान करेंगी।। आभार!

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